इंदौर। जिला प्रशासन की पहल पर इंदौर के 100 स्कूल तंबाकूमुक्त घोषित किए जाएंगे। इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बीच में तंबाकू और उसके उत्पाद का सेवन नहीं करने के लिए जनजागरण अभियान चलाया गया। स्कूल के 300 मीटर के दायरे में तंबाकू के उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद भी कराया गया है। इंदौर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सिद्धार्थ जैन को जिला प्रशासन द्वारा इस पूरे अभियान की कमान सौंपी गई थी। उनके द्वारा सबसे पहले इंदौर, महू, सांवेर, देपालपुर ब्लॉक के 100 स्कूलों का चयन इस अभियान के लिए किया गया।
इसके बाद में इन सभी स्कूलों में तंबाकू और उसके उत्पाद का उपयोग विद्यार्थियों द्वारा नहीं किए जाने के लिए जनजागरण अभियान चलाया गया। इस अभियान में सभी विद्यार्थियों को जोड़ा गया और उन्हें इन उत्पादों का उपयोग करने से जीवन में होने वाले नुकसान की जानकारी देकर जागृत किया गया। स्कूल से 300 मीटर के क्षेत्र में स्थित तंबाकू और उसके उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद कराया गया। इसके साथ ही स्कूल में हर 15 दिन में तंबाकू विरोधी जनजागरण अभियान की एक गतिविधि संचालित की गई।
इन सारी कोशिशें के माध्यम से इन सभी स्कूलों को पूरी तरह से तंबाकूमुक्त क्षेत्र के रूप में तैयार किया गया। इसके बाद में इन स्कूलों और उनके आसपास के क्षेत्र का थर्ड पार्टी के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी सर्वे कराया गया। इस सर्वे के पिछले दिनों सामने आए परिणामों में इन स्कूलों के परिसर को पूरी तरह से तंबाकूमुक्त परिसर के रूप में प्रमाणित किया गया। यह प्रमाणीकरण हो जाने के बाद अब कल बुधवार को शासकीय बाल विनय मंदिर नेहरू पार्क में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें इंदौर संभाग के आयुक्त दीपकसिंह द्वारा इन सभी स्कूलों को तंबाकूमुक्त परिसर के रूप में घोषित करते हुए उनका प्रमाणीकरण किया जाएगा। यह पहला मौका है, जब इंदौर के शिक्षालय को तंबाकू जैसे सामान्य नशे से मुक्त करने के लिए इस तरह से अभियान चलाया गया। इस अभियान को चलाने का फैसला 12 अप्रैल 2024 को कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा लिया गया था।
क्यों चलाना पड़ा अभियान
इस अभियान को चलाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर सिद्धार्थ जैन ने अग्निबाण को बताया कि ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे 2019 में मध्यप्रदेश में 13 से 15 वर्ष की आयु के 3.9 फीसदी विद्यार्थी तंबाकू का सेवन करने वाले पाए गए थे। इनमें 4.4 फीसदी लडक़े और 3.5 फीसदी लड़कियां थीं। इस सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस रिपोर्ट को देखते हुए ही इस अभियान को चलाने का फैसला लिया गया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved