इंदौर न्यूज़ (Indore News)

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते 11 करोड़ मिस्रवासी खा सकते हैं इंदौरी गेहूं


इंदौर। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के चलते अब लगभग 11 करोड़ मिस्रवासियों के लिए दूसरे देशों से गेहूं का आयात करना पड़ रहा है, जिसके चलते एक तीन सदस्यीय इजिप्ट से आए दल ने कल इंदौर आकर ना सिर्फ यहां के प्रसिद्ध मालवी गेहूं की गुणवत्ता देखी, बल्कि मंडी बोर्ड, अफसरों और एक्सपोर्टरों से भी चर्चा की। मुख्यमंत्री की पहल पर मिस्र का यह प्रतिनिधिमंडल इंदौर पहुंचा।

कलेक्टर ने कहा कि अगर मिस्र में निर्यात प्रारम्भ होता है तो उससे हमारे गेहूं का 10 से 20 फीसदी निर्यात बढ़ेगा, वहीं उन्होंने आए दल को मालवी गेहूं की खासियत भी बताई। दुनिया में गेहूं के कुल निर्यात में रूस और यूक्रेन की 30 फीसदी हिस्सेदारी है, मगर अभी युद्ध के चलते मिस्र के साथ-साथ इजराइल, ओमान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका ने भी गेहूं की सप्लाय के लिए भारत से सम्पर्क किया है। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और केन्द्र सरकार ने 1 करोड़ टन गेहूं के निर्यात का लक्ष्य भी रखा है।

मध्यप्रदेश कृषि कर्मण अवॉर्ड लगातार जीतता रहा है और यहां का गेहूं देश-दुनिया में मशहूर भी है। खासकर पास्ता और ब्रेड बनाने के लिए विदेशियों को मालवा का ड्यूरम गेहूं पसंद आता है। लिहाजा मुख्यमंत्री की पहल पर कल मिस्र से आए प्रतिनिधिमंडल ने होटल मैरिएट में केन्द्र के कृषि मंत्रालय, खाद्य मंत्रालय और प्रदेश सरकार के कृषि व खाद्य तथा मंडी अधिकारियों और कलेक्टर मनीष सिंह के साथ मुलाकात की और इस अवसर पर बड़ी संख्या में गेहूं के एक्सपोर्टर यानी निर्यातक भी मौजूद रहे।


कलेक्टर मनीष सिंह ने उन्हें मालवा के प्रसिद्ध गेहं की विशेषताओं के साथ प्रदेश सरकार द्वारा एक्सपोर्टर्स को दी जा रही सुविधाओ की जानकारी दी। मिस्र के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख इंजीनियर इस्लाम फरहद अब्दुल अजीज हैं, जबकि सदस्य के रूप में डॉक्टर सालेह अब्दुल सत्तार वहिंग अहमद, इंजीनियर अहमद रबी अब्दुल्ला अब्दुल कादिर शामिल हैं, वही केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डॉक्टर सीबी सिंह, खाद्य सुरक्षा सलाहकार डॉ रवि प्रकाश, संयुक्त संचालक खाद्य सुरक्षा संजय आर्य, एडिशनल डायरेक्टर मंडी बोर्ड मप्र डीके नागेंद्र सिंह, सीके वशिष्ठ और प्रशांत वाघमारे आदि उपस्थित थे।

इन्दौर मंडी के प्रशासक अपर कलेक्टर राजेश राठौर और कृषि विभाग के अधिकारी भी चर्चा में मौजूद थे। बैठक के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि मिस्र का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मध्य प्रदेश में आया हुआ है। यह प्रतिनिधिमंडल मध्यप्रदेश में गेहूं की गुणवत्ता की जांच करेगा। उन्होंने बताया कि कई देशों में फंगस युक्त गेहूं का उत्पादन किया जाता है, जबकि मध्यप्रदेश में जो गेहूं का उत्पादन किया जाता है, वह फंगस मुक्त है। उन्होंने कहा कि मप्र सबसे ज्यादा उत्पादक प्रदेश के रूप में उभरा है। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि अगर मिस्र में निर्यात प्रारंभ हो जाता है तो हमारा गेहूं का 10 से 20 गुना निर्यात बढ़ सकता है। यहां का गेहूं काफी गुणवत्तापूर्ण और उत्कृष्ट है।

मंडी टैक्स में छूट का गजट नोटिफिकेशन भी जारी
प्रदेश शासन के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने अभी 7 अप्रैल को गजट नोटिफिकेशन कर दिया, जिसमें कृषि निर्यात को प्रोत्साहित करते हुए गेहूं के बेहतर मूल्य को दिलवाने और निर्यातकों तथा कृषि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मंडी फीस की प्रतिपूर्ति प्रदान करने के प्रावधान किए गए। अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूं ग्रेड ए और बी के मानक अनुसार खरीदकर निर्यात करने पर उसमें लगने वाले खर्च को भी शासन वहन करेगा।

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