इंदौर न्यूज़ (Indore News)

355 एकड़ के ट्रांसपोर्ट हब में रहेंगी 150 फीट चौड़ी सीमेंट-कांक्रीट की सडक़ें

  • टीपीएस-3 पर प्राधिकरण ने शुरू किया अमल, 72 करोड़ की राशि केन्द्र से भी मिलेगी

इंदौर। शासन ने पिछले दिनों पहले चरण में जिन 5 टीपीएस योजनाओं को मंजूरी दी थी उसमें से टीपीएस-4 पर तो फिलहाल हाईकोर्ट का स्टे चल रहा है, वहीं ट्रांसपोर्ट हब की योजना टीपीएस-3 सहित अन्य पर अमल शुरू किया गया है। इन योजनाओं में 600 से अधिक प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई भी प्राधिकरण ने कर ली थी। हालांकि कुछ जमीन मालिकों ने अपीलीय प्राधिकारी से स्टे हासिल किया है। 1732 एकड़ की इन योजनाओं में टीपीएस-3 में शामिल 355 एकड़ जमीन ट्रांसपोर्ट हब की भी है, जो कि लसूडिय़ामोरी, अरंड्या, तलावलीचांदा और मायाखेड़ी में आएगा। केन्द्र सरकार ने अपनी योजना शक्ति के तहत यहां विकसित होने वाले ट्रांसपोर्ट हब के लिए 72 करोड़ की राशि मंजूर की है, जिसमें से 50 करोड़ प्राधिकरण को पहली किश्त के रूप में मिल भी गए। यहां पर 150 फीट चौड़ी सीमेंट कांक्रीट की मजबूत सडक़ें बनाई जाएगी, ताकि ट्रकों के बाहरी यातायात के दबाव को सह सके। इससे शहर में विकसित होने वाले लॉजिस्टिक हब को भी फायदा होगा।


पिछले दिनों प्राधिकरण बोर्ड ने लगभग 500 करोड़ के विकास कार्यों को भी मंजूरी दी जो इन टीपीएस योजनाओं में शुरू किए जाना है। टीपीएस-1, 3, 5 और 8 पर अभी अमल किया जा रहा है। वहीं टीपीएस-9 और 10 के लिए भी दावे-आपत्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा का कहना है कि केन्द्र सरकार ने गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत ट्रांसपोर्ट हब में ही जो 21 एकड़ का मल्टी फेसिलिटी इंटरनेशनल लॉजिस्टिक पार्क विकसित किया जा रहा है उसे भी मंजूरी दी है और 72 करोड़ रुपए की राशि केन्द्र से प्राप्त होगी। इस लॉजिस्टिक पार्क पर 365 करोड़ रुपए की कुल राशि खर्च होना है और सिंगापुर सहित अन्य विदेशी बड़ी कम्पनियों को ठेके देना शुरू किए हैं। आगामी 50 से 60 वर्ष के हिसाब से इंदौर के विकास के मद्देनजर प्लानिंग की जा रही है और उसी के आधार पर समूचा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। सुपर कॉरिडोर पर स्टार्टअप पार्क और इन्क्यूबेशन सेंटर के बड़े प्रोजेक्ट भी लाए जा रहे हैं। टीपीएस-3 के तहत प्राधिकरण 355 एकड़ जमीन पर ट्रांसपोर्ट हब विकसित कर रहा है। इसमें 11 हेक्टेयर लॉजिस्टिक पार्क – ट्रांसपोर्ट हब के लिए रखी गई है। प्राधिकरण ने 267 करोड़ रुपए योजना को विकसित करने पर खर्च करने का अनुमान भी लगाया है। अभी रिंग रोड बायपास पर बाहरी वाहनों के यातायात का दबाव तो रहता ही है, वहीं एक बड़ी समस्या पार्किंग की भी है।

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