कोरोना कर्फ्यू के लॉक में भी हुई जिंदगियां अनलॉक
इंदौर। कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) में जहां सारा शहर अनलॉक (Unlock) था, ऐसे में भी कई लोगों की जिंदगी की सांसें लॉक (lock) हो गईं। पांच माह में शहर में वाहन दुर्घटनाओं (accidents) में 184 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। जहां पिछले साल 153 की मौत हुई थी, वहीं इस वर्ष 31 मौतें अधिक हुई हैं। वहीं दुर्घटनाएं (accidents) भी बढ़ी हैं, जिनमें कई लोग गंभीर घायल हुए हैं और कई लोगों ने हाथ-पैर भी गंवाए।
शहर में यातायात (traffic) नियंत्रण एक बड़ी समस्या है, जिसको लेकर लगातार अभियान चलाए जाते रहे हैं, ताकि शहर को यातायात (traffic) में भी नंबर वन बनाया जा सके। लेकिन ताजा आंकड़ों को देखें तो यह दूर की कौड़ी लग रहा है। पांच माह की बात करें तो जहां दुर्घटनाएं (accidents) बढ़ी हैं, वहीं मौत का आंकड़ा भी। इसके अलावा इस साल गंभीर रूप से दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या 45 है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 145 था। बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में यहां से गुजरे थे। इस दौरान कई दुर्घटनाओं का शिकार हुए थे। इसके अलावा साधारण घायलों की बात करें तो पिछले साल पांच माह में 903 लोग घायल हुए थे, जबकि इस साल 1253 लोग घायल हुए हैं। इस हिसाब से पिछले साल कुल घायलों का आंकड़ा 1048 था तो इस साल 1305 है। वहीं दुर्घटनाओं की बात करें तो पिछले साल इस अवधि में 1183 दुर्घटनाएं हुई थीं तो इस साल 1449 दुर्घटनाएं (accidents) हुई हैं। लॉकडाउन (Lockdown) के बाद भी दुर्घटनाएं और मौत का आंकड़ा बढऩा पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।
दुर्घटनाएं रोकने के लिए 30 ब्लैक स्पॉट किए थे चिह्नित
ऐसा नहीं है कि पुलिस दुर्घटनाओं (accidents) को लेकर चिंतित नहीं है। इसके लिए समय-समय पर प्रयास भी किए जाते रहे हैं। कुछ समय पहले यातायात (traffic) पुलिस ने शहर में तीस के लगभग स्पॉट चिह्नित किए थे, जहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इसके लिए कहीं स्पीड ब्रेकर तो कहीं वन-वे किया गया था, लेकिन कोरोना के चलते पुलिस पिछले एक साल से इस पर काम नहीं कर पाई और दुर्घटनाओं तथा मौत का आंकड़ा बढ़ गया।
हत्या से तीन गुना दुर्घटनाओं में होती है मौत
शहर में हर साल लगभग 80 के आसपास हत्याएं होती हैं, लेकिन दुर्घटनाओं (accidents) में इससे तीन गुना से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इससे यह पता चलता है कि यातायात (traffic) नियंत्रित करने पर पुलिस कितने लोगों की जान बचा सकती है।