18 से 44 साल के मात्र 8 प्रतिशत युवा ही पहुंचे टीका लगवाने
इंदौर। कोरोना काल में काम करने वाले हेल्थ केयर वर्करों (Health care workers) में से 22 प्रतिशत ने पहला डोज ही नहीं लगवाया, वहीं 18 से 44 साल का स्लॉट खोलने के बाद अभी तक मात्र 8 प्रतिशत लोग ही टीका लगवाने पहुंचे हैं।
कोरोना की दूसरी लहर झेल रहे प्रदेश में टीका लगवाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि इसका संक्रमण व्यक्ति के लिए घातक न हो सके। शहर में 5 कैटेगरी में टीके लगाए जा रहे हैं। इसमें हेल्थ वर्कर (Health workers), फ्रंटलाइन वर्कर (frontline worker), 45 साल से अधिक, 60 साल से अधिक और 18 साल से 44 साल तक के लोगों को टीका लगाया जा रहा है। अभी केवल नाबालिगों को ही टीके नहीं लगाए जा रहे हैं। 18 से 44 साल की उम्र के लेागों में टीकाकरण को लेकर उत्साह है, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण वे टीका नहीं लगवा पा रहे हैं। इस कैटेगरी में 18 लाख 1 हजार 732 लोग हैं, जिनमें से 8 प्रतिशत यानी 1 लाख 36 हजार 826 लोगों को टीका लग चुका है। वहीं दूसरे डोज के लिए अभी किसी का नंबर नहीं आया है। सबसे ज्यादा टीकाकरण (Vaccination) करवाने वालों में फ्रंटलाइन वर्कर (frontline worker) हैं, जिनमें 79 प्रतिशत का वैक्सीनेशन (Vaccination) पूर्ण हो चुका है। 60 साल से अधिक की उम्र के 78 प्रतिशत लोगों को भी टीका लग चुका है। वहीं इस उम्र के 35 प्रतिशत लोगों ने तो दूसरा डोज भी लगवा लिया है। कोरोना में काम कर रहे हेल्थ केयर वर्कर जरूर वैक्सीनेशन (Vaccination) करवाने में पीछे हैं। इंदौर में 53 हजार 802 हेल्थ वर्कर हैं, जिन्हें टीका लगना था, लेकिन इनमें से 42 हजार 202 लोगों ने ही टीका लगवाया है। यानी 22 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण ही नहीं हुआ, वहीं 78 प्रतिशत ने दूसरा डोज भी लगवा लिया है।
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