जबलपुर न्यूज़ (Jabalpur News) मध्‍यप्रदेश

लोक अदालत में 2363 प्रकरण निराकृत, 38 करोड़ से अधिक के अवार्ड पारित

जबलपुर। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार सक्सेना (Principal District and Sessions Judge Naveen Kumar Saxena) के मार्गदर्शन में जिला न्यायालय जबलपुर, तहसील न्यायालय सिहोरा एवं पाटन तथा कुटुम्ब न्यायालय (family court) शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। देर शाम तक इस लोक अदालत में कुल 2363 प्रकरणों का निराकरण करते हुये 38 करोड़ 22 लाख 36 हजार 541 रुपये का अवार्ड पारित हुआ। प्रकरणों के निराकरण के लिये कुल 72 खण्डपीठों का गठन किया गया था, जिनमें न्यायालयों में लंबित 1364 प्रकरणों एवं 999 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया।



इस लोक अदालत में आपराधिक शमनीय प्रकृति के 140 प्रकरण, धारा 138 एन.आई.एक्ट के 129 प्रकरण, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 746 प्रकरण, विशेष विद्युत न्यायालयों में लंबित विद्युत के 139 प्रकरण, पारिवारिक मामलों के 44 प्रकरण, सिविल मामलों के 66 प्रकरणों का निराकरण किया गया।


लोक अदालत में धारा 138 एन.आई.एक्ट में 2 करोड़ 93 लाख 49 हजार 386 रुपये के समझौता राशि के निर्णय किये गये, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के प्रकरणों में 31 करोड़ 07 लाख 35 हजार 870 रुपये के अवार्ड राशि पारित की गई। विद्युत के न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में 32 लाख 40 हजार 96 रुपये की राजस्व वसूली हुई तथा विद्युत के प्रीलिटिगेशन के 565 निराकृत प्रकरणों में 59 लाख 41 हजार रुपये की राजस्व वसूली हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 274 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में निराकरण पश्चात 2 करोड 14 लाख 20 हजार रुपये की समझौता राशि लोक अदालत में प्राप्त हुई।

विशेष – इस लोक अदालत में निम्न प्रकरण उल्लेखनीय रहे-

आवेदक पति उम्र 68 वर्ष ने अनावेदिका पत्नी उम्र 63 वर्ष के विरूद्ध दाम्पत्य जीवन की पुर्नस्थापना हेतु यह प्रकरण 05 जून को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसमें आवेदक व अनावेदिका का विवाह 14 मई 1979 को हुआ था तथा आवेदक व अनावेदिका के बीच विवाह पष्चात मनमुटाव उत्पन्न होने पर अनावेदिका/पत्नि पीहर घर छोड़कर वर्ष 2018 में मायके चली गई जिस कारण आवेदक पति ने पत्नि प्रेम होने पर न्यायालय की शरण ली। न्यायालयीन प्रक्रिया अनुसार अनावेदिका पत्नि को न्यायालय में प्रकरण विचारण के दौरान आहूत किया गया।

प्रकरण लोक अदालत के समक्ष पेश होने पर लोक अदालत की पीठासीन अधिकारी विधि सक्सेना एवं सदस्यों द्वारा आवेदक व अनावेदिका की उम्र के पड़ाव को देखते हुए पति पत्नि को संयुक्त रूप से एवं पृथक- पृथक रूप से जीवन के प्रत्येक पहलू पर एवं जीवन की सकारात्मक के संबंध में एवं विवाह संस्था के स्थायित्व की संभावनाओं पर विचार करते हुए समझाया गया। खण्डपीठ की समझाईश एवं विवाह संस्कार के प्रत्येक पहलू पर विचार बाद आवेदक व अनावेदिका ने अपने मतभेदों को भुलाकर उम्र के इस पड़ाव पर पुनः दाम्पत्य जीवन में एक सूत्र में बंधकर पति पत्नि की तरह साथ-साथ रहना व्यक्त किया जिस पर लोक अदालत की पीठासीन अधिकारी एवं सदस्यों द्वारा आवेदक व अनावेदिका के सुखद दाम्पत्य जीवन व लंबी आयु की कामना के साथ, एक दूसरे का साथ निभाने का वचन देकर रवाना हुए।

कुटुम्ब न्यायालय, जबलपुर के कुल 74 मामलों में राजीनामा की कार्यवाही निष्पादित की गयी। कुटुम्ब न्यायालय के प्रकरणों के निराकरण हेतु विधि सक्सेना, शिवकांत पाण्डे एवं प्रधान न्यायाधीश की कुल 03 खण्डपीठों का गठन किया गया था।

निराकृत सिविल प्रकरणों में एक प्रकरण में धारा 9 हिंदू विवाह अधिनियम के पक्षकारों में लंबे समय से आपसी सामंजस्य नहीं होने के कारण वे प्रथक-प्रथक निवास कर रहे थे। उन्हें उनके अवयस्क संतानों के भविष्य को लेकर खण्डपीठ के द्वारा विस्तार से समझाया गया। उक्त प्रकरण के पक्षकार खंडपीठ की समझाईश पर अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए न्यायालय से ही साथ रहने रहने हेतु राजीखुशी होकर गये।

नेशनल लोक अदालत में गुलाब मिश्रा, 19 वें जिला न्यायाधीश की खण्डपीठ में 31 प्रकरणों का निराकरण कर कुल 1,17,73000/- रुपये की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की गई। न्यायालय के प्रयास से भारतीय एक्सा कंपनी द्वारा ऐतिहासिक कदम उठाते हुये 04 प्रकरणों में पक्षकारों को आज ही कुल 13,11000 रुपये का क्षतिपूर्ति राशि का चैक प्रदान किया गया।

नेशनल लोक अदालत में वारीन्द्र कुमार तिवारी, सोलहवें अति. मो.दु.दा. खण्डपीठ क्र. 11 के द्वारा कुल 58 प्रकरणों का निराकरण किया गया है और कुल 1,95,87,000/- रुपये राशि का अवार्ड /समझौता किया गया।

15 वर्ष पुराना प्रकरण भी हुआ निराकृत

एस.एस. जमरा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला जबलपुर में अनावेदक अनूप कनौजिया के विरूद्ध धारा 138 एन0आई0एक्ट के अंतर्गत परिवाद पत्र 14 जुलाई 2006 को प्रस्तुत किया गया था। उक्त प्रकरण में अभियुक्त अपराध 14 जुलाई 2016 को उपस्थित हुआ था एवं 07 अगस्त 2016 को आरोपी के विरूद्ध अपराध विवरण विरचित किये जाकर प्रकरण परिवादी साक्ष्य हेतु नियत किया गया था। उक्त प्रकरण आज 11 सितम्बर को राजीनामा हेतु नियत किया गया था।

नेशनल लोक अदालत में देवेन्द्र सिंह पाल 23वें जिला न्यायाधीश की खण्डपीड में 60 प्रकरणों का निराकरण कर कुल 1,99,25000/- रुपये की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की गई। न्यायालय के प्रयास से आर0सी0एस0ए0 01ए/2015 प्रकरण का निराकरण किया गया है जो सात वर्ष पुराना है। नेशनल लोक अदालत में अनुजा श्रीवास्तव न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की खण्डपीठ द्वारा 04 प्रकरणों का निराकरण किया गया है जिनमें 3 प्रकरण 5 वर्ष से अधिक पुराने है।

न्यायालय द्वारा आर.सी.एस.ए 215/15 प्रेमलाल दीक्षित विरूद्ध प्रमोद तिवारी जो कि वादी एवं प्रविदीगण के मध्य 5 वर्ष से अधिक अवधि में लंबायमान होकर वादी साक्ष्य के स्तर पर था जिसमें न्यायालय द्वारा उभयपक्ष के मध्य 2.63 हेक्टेयर भूमि की वादग्रस्त संपत्ति पर स्वत्व उद्घोषणा एवं स्थायी निषेधाज्ञा के विवाद को वादीगण तथा प्रतिवादीगण आपस में रिश्तेदार होने पर लोक अदालत में खण्डपीठ द्वारा समझाईश देकर न सिर्फ इस सिविल प्रकरण का निराकरण किया गया है साथ ही उनके मध्य वैमनस्य की भावना को सदैव के लिये खत्म कर दिया।

 

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