विदेश

इजरायल के खिलाफ खड़े हुए 57 मुस्लिम देश, बुलाई इमरजेंसी मीटिंग

इंस्ताबुल। मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन’ Organization of Islamic Cooperation (OIC) ने 16 मई को इजरायल-फिलिस्तीन (Israel-Palestine) संघर्ष पर इस्लामिक देशों (Islamic countries) के विदेशों मंत्रियों (foreign ministers) की आपात बैठक (Emergency meeting) बुलाई है. ओआईसी(OIC) ने ट्वीट कर बताया कि सऊदी अरब (Saudi Arab) के अनुरोध पर यह बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में यरुशलम (Jerusalem) में अल-अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque) में हुई हिंसा (Violence) और फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली आक्रमकता(Israeli aggression in Palestinian territory) , खास कर अल-कुद्स अल-शरीफ में हिंसा को लेकर चर्चा की जाएगी.
57 सदस्यीय इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई की निंदा करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था. संगठन के प्रमुख इस्लामिक देश सऊदी अरब ने अलग से बयान जारी कर फिलिस्तीनियों पर इजरायली कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी. सऊदी अरब ने पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनियों के परिवारों को निकालने की इजरायल की योजना को खारिज करते हुए कहा था कि इजरायल बेगुनाह फिलिस्तीनियों की जानें लेना बंद करे.



फिलिस्तीनियों पर इजरायल के हमले के खिलाफ मुस्लिम देशों को एकजुट करने में सबसे ज्यादा तुर्की और पाकिस्तान सक्रिय हैं. तुर्की ने तो साफ शब्दों में कहा है कि मुस्लिम देशों को गाजा में हमास की इजरायल के खिलाफ मुहिम को लेकर एकजुटता और स्पष्ट रुख दिखाना होगा. तुर्की ने कहा है कि मुस्लिम वर्ल्ड को इजरायल के खिलाफ स्पष्ट फैसला लेना चाहिए.
तुर्की के उपराष्ट्रपति फुआत ओकते (Vice President of Turkey Fuat Okte) ने गुरुवार को दुनिया के इस्लामिक देशों को एकजुट होने और इजरायल के खिलाफ हमास के साथ खड़े होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि तमाम देश सिर्फ कड़ी निंदा कर रहे हैं और कोई कड़ा कदम नहीं उठा रहे हैं.
इंस्ताबुल में रमजान के अंतिम दिन फुआत ओकते ने मीडिया से कहा, “हम जो चाहते हैं वह यह है कि हिंसा रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं. संयुक्त राष्ट्र में बार-बार फैसले लिए जाते हैं, निंदा होती है. लेकिन दुर्भाग्य से कोई नतीजा नहीं निकलता है क्योंकि कोई स्पष्ट रुख जाहिर नहीं किया जाता है. कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया जाता है.”
यरुशलम में पिछले 10 मई से जारी झड़पों के चलते 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. गाजा पट्टी से हमास इजरायल के ऊपर लगातार रॉकेट दाग रहा है तो इजरायल भी हवाई हमले कर रहा है. इजरायल ने अब गाजा में सेना और टैंक भेजा है. जमीनी कार्रवाई के लिए तैयारी भी जारी है.
खबरों के मुताबिक तुर्की के उपराष्ट्रपति फुआत ओकते ने कहा कि मुसलमानों पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी थी. उन्होंने कहा, ‘हर कोई जो इसके खिलाफ अपना स्पष्ट रुख नहीं दिखा रहा है वो फिलिस्तीनियों को यातना देने वालों के साथ है. दुर्भाग्य से, हम देख रहे हैं कि मुस्लिम देश इसमें एकता और एकजुटता नहीं दिखा रहे हैं. जो एकजुटता (फिलिस्तीनियों के प्रति) नहीं दिखा रहे हैं, वे उनकी यातना में बराबर के सहभागी हैं.’
इजरायल और गाजा के बीच खूनी टकराव के चलते 2014 वाली संघर्ष की स्थिति बनती दिख रही है. दुनिया की शक्तियों ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने की मांग की है और संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने बताया कि इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच वार्ता के लिए दूत भेजने की योजना बनाई है.
यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनी नमाजियों पर इजरायली सुरक्षाबलों की फायरिंग के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने बीते शनिवार को इजरायल को ‘आतंकवादी राष्ट्र’ करार दिया था. एर्दोगन वेस्ट बैंक पर इजरायल के कब्जे और फिलिस्तीनियों के साथ उसके बर्ताव की बार-बार निंदा करते रहे हैं. वह इजरायल के खिलाफ मुस्लिम देशों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी भी यूरोप के मुसलमानों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. उन्होंने यूरोप के करोड़ों मुसलमानों से अपील की है कि वे फिलिस्तीनियों के समर्थन में और इजराइल के खिलाफ सामने आएं. शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि यूरोप के मुसलमानों को इस मामले में सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए.
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि तुर्की और पाकिस्तान फिलिस्तीन के मसले पर संयुक्त राष्ट्र की आमसभा की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि तुर्की और पाकिस्तान ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन में 57 मुस्लिम देशों के बीच सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. इसके बाद यूएनजीए में फिलिस्तीन मुद्दे पर बैठक बुलाने की मांग की जाएगी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी लगातार सक्रिय हैं और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन के साथ बातचीत कर रहे हैं.

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