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जम्मू के लिए 6, कश्मीर को सिर्फ 1! J&K में परिसीमन आयोग के प्रस्ताव पर छिड़ा विवाद

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में परिसीमन आयोग (delimitation commission) द्वारा सीटों के निर्धारण प्रस्ताव (allocation of seats) पर विवाद बढ़ता दिख रहा है. जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पाटियों नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) और पीडीपी (PDP) ने इस प्रस्ताव पर ऐतराज जताया है। दरअसल परिसीमन आयोग द्वारा अपने ‘पेपर-1’ में जम्मू क्षेत्र में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक सीट का प्रस्ताव रखे जाने की जानकारी मिली है।

आयोग की बैठक में उसके सहयोगी सदस्यों-जम्मू-कश्मीर से पांच लोकसभा सदस्यों- ने भाग लिया। उनसे इस महीने के अंत में प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला बैठक में मौजूद नेताओं में शामिल थे. बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पर नाराजगी जाहिर की है।


महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर लगाए आरोप
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपीडी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा है कि परिसीमन आयोग को लेकर मेरी शंका गलत नहीं थी. वो चाहते हैं कि यहां के लोग आमने-सामने आ जाएं. यही कारण है जनगणना पर ध्यान न देते हुए एक क्षेत्र के लिए 6 तो दूसरे क्षेत्र के लिए 1 सीट का प्रस्ताव किया गया है। ये कमीशन सिर्फ बीजेपी के हितों को पूरा करने के लिए बनाया गया जिससे लोगों को क्षेत्रीय आधार पर बांटा जा सके. वास्तविक प्लान ये है कि जम्मू-कश्मीर पर एक ऐसी सरकार थोपी जाए जो अगस्त 2019 में किए गए असंवैधानिक फैसले को सही साबित करे।

क्या बोले सज्जाद लोन
वहीं सज्जाद लोन ने कहा है कि परिसीमन आयोग का प्रस्ताव बिल्कुल भी स्वीकार करने योग्य नहीं है. इसमें पक्षपात की गंध आ रही है. जो लोग लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं ये उनके लिए एक सदमे जैसा है।

क्या बोले उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग द्वारा तैयार सिफारिशों का मसौदा अस्वीकार है. इसमें विधानसभा के लिए जोड़ी गई नई सीटों में से 6 जम्मू को दी गई हैं जबकि 1 सीट कश्मीर को मिली है. यह 2011 की जनगणना के डाटा के आधार पर न्यायसंगत नहीं है।’

उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘यह बेहद निराश करने वाली बात है कि आयोग ने बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस तरह की सिफारिशों को तैयार करने की अनुमति दी ना कि आंकड़ों पर, जिस डाटा पर उन्हें सिर्फ विचार करना चाहिए था. यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विपरीत एक राजनीतिक दृष्टिकोण है।’

क्या है परिसीमन?
सीधे शब्दों में कहा जाए तो परिसीमन का मतलब होता है सीमा का निर्धारण करना. यानी किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को तय करने की व्यवस्था को परिसीमन कहते हैं. मुख्ततौर पर ये प्रक्रिया वोटिंग के लिए होती है. लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के निर्धारण के लिए संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत केंद्र सरकार द्वारा हर जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है।

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