इंदौर न्यूज़ (Indore News)

650 मजदूर लापता, 262 करोड़ की मुआवजा राशि के फॉर्म 2 जनवरी से मिलेंगे, परिसमापक ने 6 माह की समय सीमा की तय

इंदौर। पिछले दिनों इंदौर आए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने हुकुमचंद मिल के 5895 मजदूरों की जमा पूंजी यानी मुआवजा राशि का 262.22 करोड़ का चेक सौंपा था और प्रधानमंत्री भी वर्चुअली इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने मजदूरों को शुभकामनाएं दी। अब इन मिल मजदूरों को मुआवजा राशि बांटी जाना है, जिसकी प्रक्रिया शासकीय परिसमापक व्योमेश सेठ ने शुरू कर दी है। इंदौर हाईकोर्ट द्वारा ही परिसमापक की नियुक्ति की गई। उन्होंने 6 माह की समय सीमा आवेदन फॉर्म भरने, दावे-आपत्तियों के लिए निर्धारित की है और 11 जनवरी से मजदूरों के खातों में यह राशि जमा होना शुरू होगी।


लगभग 32 साल के संघर्ष के बाद मजदूरों को उनकी बकाया राशि मिलने का रास्ता साफ हुआ। हालांकि 2200 से ज्यादा मजदूरों का निधन इस बीच हो चुका है। वहीं 650 मजदूर ऐसे हैं जो कि विगत कई वर्षों से लापता है। उनका नाम, पता, ठिकाना खोजने के बाद भी यूनियम को नहीं मिला है। हुकुमचंद मिल संघर्ष समिति के नरेन्द्र श्रीवंश का कहना है कि इन मजदूरों की कोई जानकारी तमाम प्रयासों के बावजूद हासिल नहीं हो पाई और पूर्व में जो 4-5 बार राशि बंटी, उस वक्त भी इन मजदूरों की तरफ से किसी ने क्लेम नहीं किया। वहीं 100 से ज्यादा मजदूर ऐसे हैं जिनकी 2 पत्नीयां हैं और किसी को तो तीन भी है, जिसके चलते योग्य वारिस की पहचान में परेशानी आती है और अभी भी कुछ प्रकरण इसी कारण विवादित भी पड़े हैं। मगर अधिकांश मजदूरों को उनकी राशि अब समय सीमा में मिल जाए इसके लिए यूनियन ने 7 हजार फॉर्म छपवाए हैं, जो 2 जनवरी से उपलब्ध कराए जाएंगे। श्रीवंश ने यह भी कहा कि सभी मजदूरों को उनका पैसा मिलेगा और चूंकि आवेदन फार्म भरने, जमा करने और जांच की प्रक्रियामें थोड़ा समय लगेगा। इसलिए मजदूर साथियों से अनुरोध है कि वे शांति बनाए रखें। सभी पात्रों को पैसा मिलेगा। जिन मजदूरों और उनकी पत्नीयों का निधन हो गया है उनके बच्चों को शपथ-पत्र, आधार कार्ड, दो गवाहों के भी आधार कार्ड और जानकारी देना पड़ेगी, ताकि कोई भी भुगतान गलत व्यक्ति को ना हो जाए। दरअसल जो मजदूर जिंदा है उनके आवेदनों में तो कोई ज्यादा परेशानी नहीं आएगी, मगर जिन मजदूरों का निधन हो गया और उनकी पत्नीयां भी नहीं है और बच्चे दो-तीन है, उन सभी को उपस्थित होना पड़ेगा और उनके दस्तावेजों की जांच भी यूनियन पदाधिकारियों के साथ-साथ परिसमापक और उनके द्वारा नियुक्त विधि अधिकारी द्वारा की जाएगी, ताकि भविष्य में किसी तरह का विवाद उत्पन्न ना हो। चूंकि लाखों रुपए की राशि मुआवजे की मिलना है, तो वारिसों के बीच भी झगड़े हो जाते हैं। औसत एक मजदूर को 4 से 5 लाख रुपए और कुछ कर्मचारियों को 9-10, तो अधिकारियों को 15-16 लाख रुपए तक की राशि मिलना है। दूसरी तरफ परिसमापक ने भी 11 जनवरी से 10 जुलाई तक की समय सीमा इसके लिए तय कर दी है। जिनका निधन हो गया उनके वारिसों की पहचान में भी लगेगा समय, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से जमा होगा खातों में पैसा, 7 हजार फॉर्म यूनियन ने छपवाए

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