
नेताओं और अफसर के संघर्ष में फिर आ गए विवादित इंजीनियर
इंदौर। राज्य सरकार (State government) द्वारा इंदौर (Indore) से हटाए गए सार्े इंजीनियर (engineers) एक बार फिर इंदौर में पदस्थ (incumbent) कर दिए गए हैं। नेताओं और अधिकारियों के संघर्ष में यह विवादित इंजीनियर फिर से इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) की सेवा में आ गए हैं।
नगर निगम के चर्चित विवादित इंजीनियरों के पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा थोक बंद तबादले किए गए थे। इस तबादला आदेश के खिलाफ कुछ इंजीनियरों द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से स्थगन भी प्राप्त कर लिया गया था। इसके बावजूद नगर निगम के आयुक्त शिवम वर्मा ने सभी इंजीनियरों को एक साथ कार्यमुक्त कर दिया था। उसके बाद शासन द्वारा इन सभी इंजीनियरों के फिर से तबादला आदेश जारी करते हुए। इन सभी को डेपुटेशन पर दूसरे नगर निगम में पदस्थ करने का आदेश जारी किया गया था। यह माना गया था कि इंदौर नगर निगम के जनप्रतिनिधियों की शिकायत के आधार पर प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा में इंजीनियरों के तबादला आदेश जारी कराए गए थे। पहली बार नगर निगम के सभी दागी इंजीनियरों के एक साथ तबादला आदेश हुए थे। अब कल राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग आदेश जारी करते हुए सात इंजीनियरों को फिर से इंदौर नगर निगम में पदस्थ कर दिया गया है। इसमें से शैलेंद्र मिश्रा, अतीक खान, अभिषेक सिंह, विनोद अग्रवाल और प्रभात तिवारी को स्वच्छ भारत मिशन में इंदौर नगर निगम में पदस्थ किया गया है। इसके साथ ही इंजीनियर राहुल रघुवंशी और शिवराज सिंह यादव को नर्मदा परियोजना में इंदौर नगर निगम में पदस्थ कर दिया गया है। इन सभी इंजीनियरों ने कल नगर निगम में अपनी ज्वाइनिंग भी दे दी है। ध्यान रहे कि राज्य शासन द्वारा शैलेंद्र मिश्रा को खंडवा, अतीक खान को रीवा, अभिषेक सिंह को मुरैना, विनोद अग्रवाल को कटनी, प्रभात तिवारी को मुरैना, राहुल रघुवंशी को खंडवा और शिवराज सिंह यादव को रीवा में स्थानांतरित किया गया था।