चंडीगढ़। पराली जलाने(stubble burning) को लेकर पंजाब (Punjab) के आठ जिलों को संवेदनशील (Sensitive to eight districts) पाया गया है। यहां पिछले साल की अपेक्षा 4000 से अधिक पराली जलाने के मामले(More than 4000 stubble burning cases) मिले हैं। सरकार(Government) इस सीजन में पराली जलाने की घटनाएं कम करने के लिए संवेदनशील जिलों में 8500 नोडल अधिकारियों की तैनाती करने जा रही है, जो चिह्नित क्षेत्र पर पल-पल नजर रखेंगे।
पटियाला, संगरूर, बठिंडा, फिरोजपुर, श्री मुक्तसर साहिब, तरनतारन, मोगा और मानसा (Patiala, Sangrur, Bathinda, Ferozepur, Sri Muktsar Sahib, Tarn Taran, Moga and Mansa) में अधिक प्रभावित जिलों के तौर पर पहचान की गई है। इन जिलों में पिछले सीजन के मुकाबले धान की पराली को आग लगाने की 4000 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं। पिछले सीजन के दौरान हर गांव में पराली को आग लगने की 25 से अधिक घटनाएं घटी थीं।
इस सीजन के लिए पंजाब सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार इन आठ जिलों में आने वाले 8500 गांवों में नोडल अधिकारी तैनात करने जा रही है। नोडल अधिकारी किसानों को पराली जलाने से रोकने के साथ-साथ धान की कटाई के बाद के कार्यों पर भी नजर रखेंगे।
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, सहकारिता, राजस्व, ग्रामीण विकास एवं पंचायत, कृषि, बागबानी और भूमि संरक्षण सहित अन्य विभागों के स्टाफ को नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात किया गया है, ताकि पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए किए जा रहे कार्यों को और तेज किया जा सके।
ये काम भी करेंगे नोडल अधिकारी
नोडल अधिकारियों की तरफ से गांवों में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न गतिविधियां चलाई जाएंगी, जिसके तहत किसान बैठकें, फसलों के अवशेष के निपटारे के लिए मशीनों का बंदोबस्त, गांवों में प्रचार सामग्री बांटने के अलावा अन्य तौर-तरीकों के साथ भी पराली को आग लगाने के रुझान के खिलाफ अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करना रहेगा।