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चार धाम यात्रा में अब तक 8 तीर्थ यात्रियों की मौत, 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

देहरादून: चार धाम यात्रा शुरू हुए अभी महज चार दिन ही हुई हैं, लेकिन अभी तक 8 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. सबसे अधिक केदारनाथ धाम में अभी 4 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. इसके बाद 22 अप्रैल को यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का बाद अभी तक 3 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जबकि गंगोत्री धाम में अभी तक 1 श्रद्धालु को अपनी जान गंवानी पड़ी है. मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर मौतें हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुई हैं.

दरअसल, चार धाम 10, 000 फीट और 12, 000 फीट के बीच की ऊंचाई पर स्थित हैं, इस कारण कई तीर्थयात्रियों को हृदय संबंधी परेशानी होती है. बता दें कि 26 अप्रैल तक चारधाम में श्रद्धालुओं का आंकड़ा 1 लाख के पार पहुंच चुका है. सबसे अधिक गंगोत्री और केदारनाथ धाम में 32-32 हजार और इसके बाद यमुनोत्री धाम में 31 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. बद्रीनाथ धाम के अब तक 45 सौ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं.

दरअसल, कई बार अस्वस्थ तीर्थयात्रियों को भी लगता है कि वे इस कठिन यात्रा को पूरी कर लेंगे, लेकिन यहां तापमान, ऊंचाई और ऑक्सीजन के स्तर में अंतर है. ऐसे में कम से कम 60 वर्ष से अधिक आयु के श्रद्धालुओं के लिए यात्रा आसान नहीं होती है. ऐसे में पूरी व्यवस्था और स्वास्थ्य जांच के बाद ही यात्रा की जानी चाहिए.


5 दिनों में शुरू हुई चार धाम यात्रा में 8 तीर्थ यात्री ने अपनी जान गवा चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर दिखाने का दावा करते हैं और कभी मॉकड्रिल, कभी चार धाम में पैदल यात्रा तो कभी स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण करके दिखा रहे हैं. लेकिन, चारधाम में व्यवस्थाओं को चाक चौबंद नहीं कर पा रहे हैं. राज्य में स्वास्थ्य सेवा सही समय पर ना मिलने के कारण यात्री जान गंवा रहे हैं.

स्वास्थ्य महानिदेशक विनीता शाह के अनुसार, चार धाम यात्रा में यात्रियों की मौत की वजह स्पेशलिस्ट डॉक्टरों कमी होना भी है. अभी भी प्रदेश में बड़ी संख्या में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी है और यात्रा मार्गों पर बहुत कम संख्या में स्पेशलिस्ट डॉक्टर मौजूद हैं. चार धाम यात्रा की शुरुआत में ही 8 लोगों की जान चले जाने से स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर उन्होंने चार धाम यात्रा के लिए व्यवस्था क्या की है?

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में यात्रा के दौरान 112 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 2018 यात्रा सीजन के दौरान 102 तीर्थयात्रियों की जान चली गई थी. 2019 में 90 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई थी. बता दें कि वर्ष 2020 और 2021 में, कोविड प्रतिबंधों के कारण यात्रा को बड़े स्तर पर आयोजित नहीं किया गया था. हालांकि, वर्ष 2022 में 200 से अधिक तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई थी.

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