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चीनी मोबाइल कंपनियों ने भारत में की 9,000 करोड़ की कर चोरी

नई दिल्ली (New Delhi)। चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों (Chinese mobile phone manufacturers) ने सीमा शुल्क व जीएसटी के रूप में 9,000 करोड़ की कर चोरी (9,000 crore tax evasion) की है। सरकार इसमें से 1,629 करोड़ की वसूली (1,629 crore recovered) कर चुकी है। वर्ष 2017-18 से अब तक आंकड़ों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने यह जानकारी दी। चीनी मोबाइल कंपनियों की तरफ से भारत में निवेश, रोजगार और कर से जुड़े सवाल का लिखित जवाब देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि ओप्पो ने सबसे ज्यादा 5,086 करोड़ की कर चोरी की है। इसमें 4,403 करोड़ सीमा शुल्क व 683 करोड़ जीएसटी के शामिल हैं। वीवो ने 2,923.25 करोड़, शाओमी ने 851.14 करोड़ रुपये की कर चोरी की।

1.5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया
चंद्रशेखर ने बताया कि ओप्पो की 4,389 के सीमा शुल्क की चोरी में से 1,214.83 करोड़ की वसूली की गई है। वहीं, वीवो से 168.25 करोड़ और शाओमी से 92.8 करोड़ वसूले गए। चीनी कंपनियों का 2021-22 में कुल टर्नओवर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा। इन कंपनियों ने 75,000 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व 80,000 हजार को अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया कराया है।


22 देशों ने रुपये में व्यापार करने के लिए भारत में खोले विशेष बैंक खाते
सरकार ने शुक्रवार को संसद बताया कि 22 देशों के बैंकों ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने के लिए भारतीय बैंकों में विशेष खाते खोले हैं। लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय राज्य मंत्री (विदेश मामले) राजकुमार रंजन सिंह ने यहां खाता खोलने वाले देशों की जानकारी दी।

वर्ष 2022-23 में पहली बार एक लाख करोड़ से ज्यादा का रक्षा उत्पादन
भारत में वर्ष 202-23 में पहली बार एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के रक्षा उपकरणों का उत्पादन किया गया। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन व निर्माण को प्रोत्साहित किया है। इसके लिए एमएसएमई व स्टार्टअप को मौका दिया जा रहा है। देश में रक्षा उपकरण निर्माण व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कारोबारी सुगमता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस , प्रौद्योगिकी विकास कोष जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

देश में 22 फीसदी घटा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह
वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 22 फीसदी की गिरावट हुई। वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने बताया कि वैश्विक मंदी की आहट व रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में निवेश में कमी आई है। सिंगापुर, अमेरिका व ब्रिटेन जैसे देशों की जीडीपी वृद्धि में गिरावट भी एक वजह हैं। 2022-23 में 70.79 अरब डॉलर एफडीआई के तौर पर आए, जबकि इससे पहले 2021-2022 में 84.84 अरब डॉलर का निवेश आया। हालांकि, 2022-23 के आंकड़े अभी अनंतिम हैं, जिनमें बदलाव हो सकता है। उन्होंने कहा, दुनियाभर के ज्यादातर देश महामारी के बाद घरेलू उद्योगों के लिए संरक्षणवादी उपाय कर रहे हैं।

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