
आज विश्व पोलियो दिवस है। यह हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है, जिससे संपूर्ण शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इस रोग में व्यक्ति का शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है। इस बीमारी को ‘पोलियोमायलाइटिस’ भी कहा जाता है। यह बीमारी बच्चों में अधिक होता है। इस बीमारी से आज भी कई देश जूझ रहे हैं। जबकि कई देश हराने में कामयाब हो चुके हैं। भारत भी पोलियो मुक्त देश बन गया है। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान में पोलियो के मामले सबसे अधिक आ रहे हैं। आइए पोलियो दिवस के बारे में विस्तार से जानते हैं-
विश्व पोलियो दिवस का इतिहास
रोटरी इंटरनेशनल ने विश्व पोलियो दिवस मनाने की शुरुआत की थी। जब रोटरी इंटरनेशनल ने पहली पोलियो टीका की खोज करने वाली टीम के सदस्य जोनास साल्क के जन्मदिन पर World Polio Day की स्थापना की थी। जोनास साल्क का जन्म अक्टूबर महीने में हुआ था। इसके लिए विश्व पोलियो दिवस अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। पहली पोलियो वैक्सीन की खोज 1955 में की गई थी।
हालांकि, पोलियो का कहर 1980 के दशक में अधिक देखने को मिला। जब एक लाख से अधिक बच्चे पोलियो से संक्रमित हो चुके थे। उस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो टीकाकरण की शुरुआत की। इसके तहत बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए टीका और दवा दी जाती है। इस टीकाकरण के चलते आज कई देश पोलियो मुक्त हो चुका है। भारत में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत 1995 में हुई। जबकि 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो ग्रसित देशों की सूची से हटा दिया है। पोलियो की रोकथाम के लिए टीका उपलब्ध है जो बच्चों को दी जाती है। साथ ही दो बूंद दवा भी पिलाई जाती है।
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