– दिन में इलाज करवाओ… रात को घर जाओ…
– होम आइसोलेशन की नई गाइड लाइन भी जारी
– मोबाइल वैक्सीनेशन यूनिट भी होगी शुरू
– प्रत्येक वार्ड में भी केन्द्र
इंदौर। बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते अब तेजी से वैक्सीनेशन अभियान चलाने का निर्णय लिया है, जिसके चलते शहर के सभी 85 वार्डों में नि:शुल्क वैक्सीनेशन केन्द्र शुरू किए जा रहे हैं, तो निजी अस्पतालों को कहा गया है कि वह मोबाइल वैक्सीनेशन यूनिट (Mobile Vaccination Unit) भी शुरू करे। यानी चलती-फिरती इस वैक्सीनेशन यूनिट से बाजारों से लेकर मंडी या अन्य जगह वैक्सीन लगाए जा सकेंगे। अभी तक इंदौर में लगभग 3 लाख लोगों को वैक्सीन लग गए हैं, जिनमें 60 साल से अधिक उम्र के लोग ज्यादा शामिल हैं। वहीं अभी कल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन (Vaccine) लगना शुरू हो जाएंगे। संभागायुक्त ने अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल, स्टाफ, नर्स को जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए और कोविड जांच प्रत्येक दो दिन दिन बार सैम्पल भेजने को भी कहा है।
कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) अब वैक्सीनेशन अधिक से अधिक करवाने में जुटे हैं। चोईथराम और छावनी अनाज मंडी पहुंचकर उन्होंने कर्मचारियों और व्यापारियों को वैक्सीन लगवाने के निर्देश दिए और कल इन मंडियों में वैक्सीनेशन केन्द्र भी शुरू कर दिया जाएगा। 45 या इससे अधिक उम्र के सभी कर्मचारियों और व्यापारियों को कहा गया है कि वे वैक्सीन अवश्य लगवाएं अन्यथा उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी और संबंधित व्यापारी की दुकान तक सील होगी। यानी अब वैक्सीन लगवाना भी एक तरह से अनिवार्य किया जा रहा है। वहीं संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा (Divisional Commissioner dr. Pawan Kumar Sharma) ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित और सरकारी अस्पतालों के अधीक्षक, एचओडी, कलेक्टर मनीष सिंह, प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय, उपायुक्त श्रीमती सपना सोलंकी और संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. अशोक डागरिया के साथ मीटिंग की। सुपर स्पेशिएलिटी (Super Specialty) और एमटीएच (MTH) में आज से ही डे केयर सेंटर (Day Care Center) शुरू कर दिया जाएगा, जहां पर ए सिम्टोमेटिक यानी कम रिस्क और बिना लक्षण वाले मरीजों, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है उनका इलाज किया जा सकेगा। शासन ने कल रात होम आइसोलेशन (Home Isolation) की भी नई गाइडलाइन जारी कर दी, जिसमें आवश्यक दवाइयों से लेकर क्या-क्या सामान जरूरी है उसकी सूची भी दी और कॉल सेंटर के माध्यम से मेडिकल स्टाफ ऐसे मरीजों की मॉनिटरिंग भी करेगा और दो बार फोन लगाकर उसके स्वास्थ्य की जानकारी भी ली जाएगी। आज से जिली के 5 निजी अस्पतालों में भी डे केयर सेंटर शुरू किए जा रहे हैं। वहीं 1 अप्रैल यानी कल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगना भी शुरू हो जाएंगे। अभी तक 45 और 60 साल की उम्र तक के लोगों को बीमारियों का प्रमाण-पत्र देना पड़ता था, तभी वैक्सीन लगता था, लेकिन अब सभी वैक्सीनेशन के लिए पात्र हो जाएंगे। जिस तरह 60 साल से अधिक उम्र के लोग हैं। हालांकि विशेषज्ञों-डॉक्टरों का तो कहना है कि गर्भवती महिलाओं और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को छोडक़र सभी के लिए वैक्सीनेशन शुरू करवा दिया जाना चाहिए, क्योंकि अभी युवा वर्ग भी सबसे अधिक चपेट में आ रहा है और बीते दिनों में 20 से 25 साल के युवाओं की मौत भी कोरोना के चलते हो गई। वहीं शहर के निजी अस्पतालों को मोबाइल वैक्सीनेशन यूनिट शुरू करने की अनुमति भी दी है। यानी एम्बूलेंस के जरिए चलती-फिरती ये यूनिट प्रमुख बाजारों से लेकर मंडी या अन्य जगह वैक्सीन कर सकती है। अभी कई लोग अस्पताल जाने से बचना चाहते हैं। लिहाजा उन तक वैक्सीनेशन प्रोग्राम पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके चलते निजी बड़ी टाउनशिप-बिल्डिगों से लेकर स्कूल, कालेजों और अन्य परिसरों में भी वैक्सीनेशन कैम्प लगाने के निर्देश कलेक्टर मनीष सिंह ने निजी अस्पतालों को दे दिए हैं। रविवार को अपोलो डीबी सिटी निपानिया में लगे सफल कैम्प के बाद अब इस तरह के कैम्प अन्य टाउनशिपों में भी शुरू किए जा रहे हैं।
अरबिंदो मेडिकल कालेज में डे केयर के लिए 18 मरीज भर्ती… होम आइसोलेशन के मरीजों को भी सुविधा
डे केयर, यानी दिन में इलाज की सुविधा के लिए अरबिंदो मेडिकल कालेज में 18 मरीज भर्ती किए गए। अरबिंदो के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि जिन मरीजों को लगातार बुखार की शिकायत है, लेकिन संक्रमण की स्थिति कमजोर है, उन्हें दिन में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ऐसे मरीजों को रात में घर भेज दिया जाता है, ताकि वे अपने परिजनों के बीच रहें। दरअसल कोरोना मरीजों के लिए जहां बेड घटते जा रहे हैं, वहीं कम संक्रमित मरीजों का इलाज भी आवश्यक है। इसलिए नए मेडिकल प्रोटोकाल के अनुसार अब मरीजों को डे केयर के लिए अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। इससे दो फायदे हो रहे हैं-एक तो अस्पताल जाने को लेकर मरीजों की घबराहट और नहीं जाने पर संक्रमण बढऩे के खतरे से जो मानसिक संत्रास उत्पन्न होता है उसे मिटाने के लिए डे केयर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। डॉ. भंडारी ने बताया कि जिन मरीजों को डे केयर के लिए भर्ती किया गया उन्हें रात को जब वापस लौटाया गया तो उनमें बीमारी से लडऩे की शक्ति बढ़ी हुई पाई गई। उनका आत्मविश्वास इलाज में काफी सहायक हो सकता है और प्रशासन का डे केयर का प्रोटोकाल काफी लाभप्रद रहेगा।