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कोरोना संक्रमित व्यक्ति कब लगवाए वैक्सीन, कितना हो अंतर, जानें सभी सवालों के जवाब यहां

कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर ने बहुत सारी समस्याएं और चुनौतियां सामने खड़ी कर दी हैं। इससे लोगों को सही इलाज मुहैया कराने पर दबाव तो बढ़ा ही है, लोगों को वैक्सीन जल्द से जल्द लगवाने का भी दबाव बढ़ा है। इतनी ही नहीं वैक्सीन (Vaccine) दो डोज में अंतर की जरूरत से भी कई समस्याएं पैदा हुई हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें दूसरा डोज (Second Dose) लगने से पहले ही संक्रमण हो गया और वे अपने दूसरे डोज को मिस कर गए। वैक्सीन को लेकर कई सवाल पैदा हो गए है।

ज्यादा पूछा जा रहा है ये सवाल
इतना ही नहीं ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो कोविड-19 से तो उबर गए और अब वैक्सीन लगवाने को तैयार हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि उन्हें वैक्सीन कब लगवानी चाहिए। सबसे ज्यादा जो सवाल पूछा जा रहा है वह यही है कि अगर दो डोजों के बीच में कोविड संक्रमण (Covid infection) हो जाए तो ऐसे में क्या करना चाहिए और दूसरी डोज कब लगवानी चाहिए।



संक्रमित व्यक्ति कब लगवाए वैक्सीन
अमेरिका (America) के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो जाए तो उसे ठीक होने के बाद ही जल्द से जल्द वैक्सीन लगवानी चाहिए। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि व्यक्ति को छह महीने तक इंतजार करना चाहिए जिससे एंटीबॉडी (Antibodies) उसके शरीर में कायम रह सकें। भारत में बहुत से डॉक्टर ठीक होने और वैक्सीन लगवाने के बीच एक समयावधि की अनुशंसा कर रहे हैं। उनके मुताबिक यह समय एक से तीन महीने होना चाहिए।

इतना अंतर क्यों
संक्रमण से उबरने और वैक्सीन के बीच का समय असंक्रमित लोगों को पहले वैक्सीन लगवाने का मौका देगा और संक्रमण से उबर रहे व्यक्ति का प्रतिरोध तंत्र भी वैक्सीन की कारगरता के लिए तैयार हो जाएगा। वेल्लूर में क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के डॉ गगनदीप कांग बताते हैं कि कोविड संक्रमण एक तरह से वैक्सीन डोज की ही तरह है। लोगों को ठीक होने के बाद चार से आठ हफ्ते के समयका इंतजार करना चाहिए क्योंकि उन्होंने प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बना ली हैं।

संक्रमण भी देता है सुरक्षा
संक्रमण के समय और उससे उबरने के कुछ समय के बाद भी व्यक्ति का शरीर संक्रमण से प्रतिक्रिया कर रहा होता है और कर सकता है ऐसे में वैक्सीन लगना बेकार हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की छह महीने तक इंतजार करने की अनुशंसा करने का पीछे भी यही कारण है कि संक्रमण भी एक तरह की सुरक्षा प्रदान करता है।

यदि दो डोज केबीच में संक्रमण हो तो?
ज्यादातर लोगों के लिए ऐसा संक्रमण हलका या कम प्रभाव वाला होगा। यह वैक्सीन और संक्रमण के बीच के अंतर पर भी निर्भर होता है। पहला डोज (First dose) लगने के एक से तीन हफ्तों के भीतर का संक्रमण हो तो वैक्सीन का ज्यादा प्रभाव नहीं होता, लेकिन पहले डोज के तीन हफ्ते के बाद के संक्रमण में केवल हलका असर होगा। ऐसे में व्यक्ति को ठीक होने के बात कम से कम चार हफ्तों तक रुक कर दूसरा डोज लगवाना चाहिए।

क्या हो अगर संक्रमण के दौरान ही वैक्सीन ले ली हो
फिलहाल इसके बारे में किसी तरह के आंकड़े नहीं है कि ऐसा में क्या नुकसान या अंतर होता है। सक्रमण के तीन हफ्ते बाद IgG एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती है जो बहुत अहम होती हैं ये चार से आठ हफ्ते में चरम पर पहुंचती हैं और फिर धीरे-धीरे कम होने लगती है। संक्रमण रोकने के लिए IgG एंटीबॉडी काम आती हैं ये पहले डोज और संक्रमण में बनने लगती हैं। हां लेकिन यह तय है कि ठीक होने के बाद वैक्सीन एक बूस्टर (Booster) की तरह काम करती है।

दूसरा डोज समय पर ना लगवा पाएं तो?
दूसरा डोज अगर समय पर ना लगवा सकें तो यह चिंता की बात नहीं है। इससे केवल एंटीबॉडी बनने में तेजी आना टल जाएगा लेकिन इससे सुरक्षा खत्म नहीं जहो जाएगी। दूसरे डोज को समय पर ना लगवा पाने का मतलब पहला डोज फिर से लगवाना नहीं है। कुछ हफ्तों की देरी चलेगी, पर अगर दो साल का समय हो गया है तो फिर पहला डोज लगवाना चाहिए।

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इसके अलावा गर्भवती महिलाओं(Pregnant women), बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए वैक्सीन सुरक्षित है। इस तरह की हजारों महिलाओं ने वैक्सीन ली है और वे सुरक्षित हैं। इसके एलर्जी के लिए कई लोगों को आशंका है। इस मामले में सुझाया गया है किकेवल उन्हीं लोगों को वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लेना चाहिए जिन्हें पहले डोज के दौरान एलर्जी रिएक्शन (Allergic reaction) हुआ था। अभी वैक्सीन से किसी खास तरह की एलर्जी के प्रति नुकसान सामने नहीं आए हैं। वैक्सीन सभी तरह के लोगों को लिए सुरक्षित है।

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