उज्जैन । इस साल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) की तिथि 14 मई शुक्रवार के दिन है। इसी दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini nakshatra) भी है। इसके अलावा इस बार अक्षय तृतीया पर लक्ष्मीनारायण और गजकेसरी योग (Lakshminarayan and Gajakesari Yoga) भी है। माना जाता है कि इस तिथि से ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। अक्षय तृतीया पर किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
इस विशेष तिथि को लेकर आचार्य भरत दुबे ने बताया कि भगवान नर और नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था। ज्योतिष इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस वजह से इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। अक्षय तृतीया के दिन ही दिन श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलते हैं। इस मौके पर तिल सहित कुशों के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है।
उन्होंने बताया कि इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। गौरी व्रत रखने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से पाप से छुटकारा मिलता है। लेकिन इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण अक्षय तृतीया पर दूसरे वर्ष भी सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं हो पाएंगे। अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त में कई लोगों की शादियां होती हैं लेकिन इस बार पिछले वर्ष की तरह शादियां नहीं हो पाएंगी ।
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