- 120 दिन में 13 हजार से अधिक प्रसूताओं को भी एक फोन पर अस्पताल लेकर पहुँची
उज्जैन। कोरोना काल की दूसरी लहर के 120 दिनों में 108 एम्बुलेंस सेवा दिनरात जारी रही। इस सेवा के जरिये जिले में 1 हजार से अधिक कोरोना मरीजों को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया। इतना ही नहीं महामारी के बीच 13 हजार से अधिक प्रसूताओं को भी डिलेवरी के लिए सरकारी अस्पताल पहुँचाया गया।
प्रदेश में 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा वर्ष 2008 में शुरु हो गई थी लेकिन उज्जैन जिले में इसकी शुरुआत वर्ष 2012 में हुई थी। 108 एम्बुलेंस इमरजेंसी सेवा के इंचार्ज निखिल मिश्रा ने बताया कि तभी से उज्जैन जिले में इस सेवा के कुल 13 वाहन संचालित हो रहे हैं। इनमें से 4 वाहन शहरी क्षेत्र के थानों में लगे हुए हैं, जबकि 9 वाहन ग्रामीण इलाकों के थानों से अटैच हैं। कुल 13 वाहनों का संचालन 24 घंटे होता है। इन्हें चलाने के लिए दो शिफ्टों में कुल 26 पायलटों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा प्रत्येक एम्बलुेंस के साथ एक ईएनटी डॉक्टर भी इमरजेंसी उपचार के लिए साथ चलता है। ऐसे में 26 ईएनटी डॉक्टर भी 24 घंटे तैनात रहते हैं। कोरोना काल में भी यह सेवा दिनरात चलती रही। इसके लिए कुल 30 पायलट और 30 डॉक्टरों की ड्यूटी लगी थी। यह वाहन शहरी क्षेत्र में नानाखेड़ा थाना, चिमनगंज मंडी, भैरवगढ़ और माधवनगर थाना पर अटैच रहते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में चिंतामण थाना, महिदपुर, उन्हेल, बडऩगर, इंगोरिया, कायथा, तराना, नागदा, खाचरौद में पूरे कोरोना काल में मौजूद रहे। फोन पर सूचना मिलते ही पायलट और डॉक्टर मौके पर पहुँचे तथा वहाँ से घायल व्यक्ति, बीमार अथवा प्रसूता को अस्पताल तक लेकर आए। इतना ही नहीं कोरोना महामारी की दूसरी लहर के 120 दिनों में 1 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों को भी सूचना मिलने पर अस्पताल पहुँचाया गया।
जिले के 33 प्रतिशत कोरोना मरीज भी लाए
श्री मिश्रा ने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों को पूरे जिले से सूचना मिलने पर 108 एम्बुलेंस में बैठाकर घर से अस्पताल तक पहुँचाया गया। 21 फरवरी से लेकर 21 जून के बीच यह सेवा भी जारी रही। इसमें फरवरी में कोरोना के 14, मार्च 208, अप्रैल 392, मई में 414 और जून में 45 संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए कोविड अस्पतालों में पहुँचाया। कुल मिलाकर कोरोना पीक के 4 महीनों में 108 एम्बुलेंस के जरिये 1073 कोरोना मरीजों को लाया गया। उल्लेखनीय है कि मई के महीने में जब कोरोना पीक पर था जब जिले में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 3274 तक पहुँच गई थी। ऐसे में कुल संक्रमित मरीजों में से लगभग 33 फीसदी मरीजों को इस सेवा के जरिये अस्पतालों में उपचार मिल पाया।
लहर के 3 महीने 13 हजार से अधिक कॉल
इस सेवा के प्रभारी निखिल मिश्रा ने बताया कि 108 जननी एक्सप्रेस सेवा तथा कोरोना मरीजों के लिए 21 फरवरी से लेकर 21 जून तक 120 दिन की अवधि में लगातार फोन आते रहे। इसके तहत फरवरी में 2523 महिलाओं को घर से लेकर अस्पताल भेजा गया तथा वापस छोड़ा गया। मार्च में 2989 कॉल अटेंड कर प्रसूताओं को लाया गया, अप्रैल महीने में 2568 प्रसूताओं को लाया गया, मई में 2460 को घर से लाया गया, वहीं 21 जून में 2676 प्रसूताओं को डिलेवरी के लिए अस्पताल लाया गया। कुल मिलाकर इन 120 दिनों में कुल 13 हजार 236 प्रसूताओं को इस सेवा के जरिये अस्पताल पहुँचाया है।