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पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होगा वन (संरक्षण) अधिनियम में संशोधन : जयराम रमेश


नई दिल्ली । कांग्रेस नेता (Congress Leader) जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम में संशोधन (Amendment in the Forest (Conservation) Act) पर्यावरण के लिए (For Environment) नुकसानदायक होगा (Will be Harmful) । उन्होंने वन (संरक्षण) अधिनियम में संशोधन कर, नए कानून बनाकर केंद्र पर आदिवासी वर्ग का अहित और विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार को केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो कानून लाया गया, कांग्रेस ने उसका विरोध किया, क्योंकि उस संशोधन से हाथी के व्यापार को बढ़ावा मिल जायेगा, उसके व्यापार का दरवाजा खोल दिया जाएगा, जबकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश, मनीष तिवारी, कांग्रेस के अन्य सांसदों ने इसका विरोध करते हुए राज्यसभा के चेयरमैन और लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था, लेकिन फिलहाल ये दोनों हाउस से पारित हो गया है।

जयराम रमेश ने कहा, वन (संरक्षण) अधिनियम में संशोधन लाने का प्रस्ताव सिलेक्ट कमेटी को भेजा गया, क्योंकि स्थाई समिति के अध्यक्ष हम हैं। कांग्रेस के एमपी सदस्य हैं, लेकिन सिलेक्ट कमेटी में बीजेपी के अध्यक्ष और उनका ही बहुमत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जन जाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने चार पन्नों का खत पर्यावरण और वन मंत्री को लिखा है। उसमें कहा गया है जो संशोधन ला रहे हैं वो जनजाति के आदिवासी के हित में नहीं है। आदिवासी के जो कानूनी अधिकार हैं उसको छीन लिया जायेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि चिपको आन्दोलन जिसका नेतृत्व किया गौरा देवी ने और प्रॉजेक्ट टाइगर इसका नेतृत्व किया पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दोनों संरक्षण अभियान की 50वीं सालगिरह है। इसलिए आज हम इन्हें याद कर रहे हैं। दोनों प्रोजेक्ट पर्यावरण के संरक्षक साबित हुए।

उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी कैमरा जीवी नहीं थी। उनकी कुछ दुर्लभ तस्वीरें हैं, जो वन्य जीवों के साथ है। इसके लिए वो कभी रिजर्व नहीं  गईं । उन्होंने (इंदिरा गांधी) पर्यावरण संरक्षण के लिए जो काम किया, वे मील के पत्थर हैं। विकास और पर्यावरण के बीच एक तालमेल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे जो घने जंगल बचे हैं, वे इंदिरा जी द्वारा बनाए गए कानूनों की वजह से बचे हैं। मोदी सरकार इन नियमों को कमजोर करना चाहती है। जो जंगल में रहते हैं पहले उनका हक होना चाहिए। गौरतलब है कि बजट सत्र के दूसरे चरण में वन संरक्षण अधिनियम-1980 में संशोधन करने वाले इस विधेयक को केंद्रीय मंत्री ने संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा और सदन ने इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी थी।

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