नई दिल्ली (New Delhi)। मौसम (Weather) विभाग का कहना है कि इस साल (this year) बारिश सामान्य (normal rain) होगी। हालांकि, जून से सितंबर के दौरान ही अल-नीनो (al Nino) विकसित होने जा रहा है। इसकी वजह से मानसून सामान्य से कम रह सकता है। प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में अल नीनो (Strong El Nino) पैटर्न विकसित होने की संभावना 90 फीसदी है। पहले भी भारत (India) में अल नीनो औसत से कम बारिश करवा चुका है। जिन वर्षों में यह पैटर्न बनता है, उनमें सूखे व औसत से कम बारिश की आशंका बढ़ती है। यह फसलों को तबाह करता है, भारत को कई बार खाद्यान्नों का निर्यात भी रोकना पड़ा है। इसका असर भारत तक सीमित न रहकर पूरे विश्व पर पड़ता है।
इस तरह पड़ता है असर
मौसम का खास पैटर्न अलनीनो प्रशांत महासागर से जुड़ा है। जब इसके मध्य व पूर्वी हिस्से में तापमान सामान्य से अधिक होता है, तो यह बदला हुआ पैटर्न बनता है। इसकी वजह से भारतीय प्रायद्वीप में मानसून चक्र कमजोर पड़ता है। यही वजह है कि बारिश भी कम हो जाती है।
70 वर्षों में 15 बार बनी स्थिति
दोनों में करीबी संबंध महत्वपूर्ण बात है। बीते 70 वर्ष में अल नीनो 15 बार बना। इनमें से छह बार तो मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश लेकर आया, लेकिन पिछले चार बार के वर्षों में बारिश लगातार कम हुई। लंबे समय के दौरान बारिश का औसत 90 फीसदी रह गया, सूखे के हालात भी पैदा हुए। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक प्रशांत महासागर में तापमान जितना बढ़ता है, उसी अनुपात में अल नीनो की श्रेणियां सामान्य, कमजोर, मध्यम और मजबूत तय होती हैं।
अर्थव्यवस्था पर असर, इतना जरूरी मानसून
देश की 70 फीसदी सालाना बारिश मानसून में होती है। इसका सीधा असर धान, गेहूं, गन्ने, सोयाबीन, मूंगफली की फसलों पर होता है। करीब 140 करोड़ में से भारत की आधी आबादी खेती पर निर्भर है।
यही क्षेत्र देश की तीन लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में 19 फीसदी योगदान देता है। अर्थव्यवस्था पर मानसून का असर लंबे समय तक रहता है। अच्छी बारिश आर्थिक समृद्धि का संकेत है और महंगाई भी नियंत्रण में रहती है।
महंगाई पर असर और आरबीआई की नीतियां
भारत में महंगाई निर्धारण में खाद्य पदार्थों की कीमतें 50 फीसदी योगदान देती हैं। आरबीआई इस पर निगरानी रखता है और वित्तीय नीति तय करता है।
पिछले लगातार चार साल से बारिश औसत या औसत से अच्छी हो रही है, फिर भी कई खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इसी वजह से हाल में आरबीआई ने ब्याज दरें बढ़ाईं। अगर मानसून अब कमजोर हुआ, तो कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं।
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