इंदौर (Indore)। मैंने पार्टी के लिए जी-जान लगाई… जनसंघ के जमाने में हम दरियां बिछाते… झंडा उठाते थे… राजबाड़ा के पचास फीट के ऑफिस से राजनीति चलाते थे… तब पहचान से लेकर विचारों तक के संघर्ष को हमने जमीन बनाया…अटलजी जैसे बड़े नेता आते थे तो हम उनके साथ स्कूटर पर शहर नापते थे… हमने पार्टी को सींचा और आज जब भाजपा के पास सत्ता और शक्ति आई तो निष्ठावान नेताओं को किनारे कर दलबदलू और दोगलों को गले लगा लिया… मैं कांग्रेस में नहीं गया, बल्कि परिस्थितियां ऐसी बन गर्इं कि मुझे जाना पड़ा…
यह कहना है वर्षों से भाजपा की झंडाबरदारी करने वाले पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत का…शेखावत ने कहा कि भाजपा में निष्ठावान कार्यकर्ताओं और नेताओं की उपेक्षा तो मामूली बात हो गई है, लेकिन हद तो तब हो गई, जब जिन्होंने पार्टी को पानी पी-पीकर कोसा और हमने पार्टी के लिए जिनके साथ संघर्ष किया था, जिनमें नीति और नैतिकता नाम की चीज नहीं है… वो केवल सत्ता के लिए पार्टी के सिरमौर बन रहे हैं… उन्हें टिकट दिया जा रहा है… चुनाव जितवाया जा रहा है… मंत्री बनाया जा रहा है… वो हमारे सामने आकर मूंछों पर ताव देते हैं और हमारे कार्यकर्ता मुंह छिपाते हैं… मुझे इंदौर से बदनावर भिजवाया… मैंने वहां पार्टी के लिए जमीन बनाई और जीत दर्ज कराई… पिछले चुनाव में जिस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा, उसे पार्टी ने विधायक ही नहीं बनवाया, मंत्री भी बनवा दिया… उसके चुनाव संचालक को जिला अध्यक्ष बना दिया…परायों को घर में बसा लिया और हमको बाहर का रास्ता दिखा दिया… हमने पार्टी में बात करने की कोशिश की…नाराजगी जताई, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है… यह स्थिति मेरी ही नहीं, बल्कि पार्टी के ढेरों नेताओं और कार्यकर्ताओं की है…शेखावत ने कहा कि जिस तरह बदनावर में राजवर्धनसिंह को सर पर बिठाया, उसी तरह तुलसी सिलावट को इंदौर का प्रभारी मंत्री बना दिया…अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक सिलावट के पीछे खड़े होते हैं…यह अपमान की पराकाष्ठा है…शेखावत ने कहा कि यदि मैं विद्रोह नहीं करता तो मेरा राजनीतिक कत्ल हो जाता…मुझे इंदौर से भगाया, अब बदनावर गैर को थमाया…आखिर हम भी इंसान हैं…
यह वह भाजपा नहीं, जिसे हमने बनाया
शेखावत ने दावा किया कि जिस कांग्रेसी को भाजपा ने अपने पाले में बिठाया, उसने पार्टी में आते ही अपना रंग दिखाया… बदनावर में राजवर्धनसिंह के कामकाज ही नहीं, चरित्र पर भी उंगली उठ रही है…जबकि भाजपा ने नैतिकता के नाम पर कभी भी समझौता नहीं किया… अब यदि यह समझौता हो भी रहा हो तो इसका मतलब साफ है कि यह वह भाजपा नहीं है, जिसे हमने बनाया….
कैलाश मेरे छोटे भाई के समान…
कैलाश विजयवर्गीय को भस्मासुर कहने वाले बयान पर शेखावत ने कहा कि मैंने ऐसा कभी नहीं कहा…वो मेरे छोटे भाई के समान हैं…कैलाश विजयवर्गीय को भी इतने समर्पण के बावजूद समझौता करना पड़ रहा है…पार्टी उन्हें उपयोग करती है, लेकिन प्रतिफल नहीं देती है…. कैलाश निष्ठावान हैं, लेकिन इन परिस्थितियों में निष्ठा में भी घुटन होने लगती है…
सरकार अहंकार के घोड़े पर सवार थी… अब ऊंट पर सवार है
शेखावत ने कहा कि सन् 2018 में सरकार अहंकार के घोड़े पर सवार थी, इसलिए चुनाव हारी…हमें जनता तो दूर कार्यकर्ताओं को भी समझाना मुश्किल हो गया था…सवाल इतने थे कि हम जवाब नहीं दे पाते थे…इसलिए चुनाव हारे… लेकिन अब तो सरकार ऊंट पर सवार हो गई है…