नई दिल्ली। चुनाव के दौरान रैलियों (rallies during election) में नेता बड़े-बड़े वादे करते है कि हर चीज फ्री में दी जाएगी और जब देने की बारी आती है तब आरोप प्रत्यारोप लगाने लगते हैं। ऐसा ही मामला इस समय राजधानी दिल्ली में गर्माया है। बता दें कि चुनाव के दौरान ‘मुफ्त’ की बिजली का मुद्दा इस समय जोर शोर से चल रहा है। इसी बीच जनहित याचिका के खिलाफ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है। पार्टी की तरफ से मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी जैसी चुनावी घोषणाओं को ‘असमान समाज’ के लिए अहम बताया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह पाया था किसी भी पार्टी की तरफ से संसद में इसे लेकर बहस की संभावनाएं नहीं हैं, क्योंकि सभी इसे जारी रखना चाहते हैं।
वहीं भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दायर जनहित याचिका में राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी। इधर, आप का कहना है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली या मुफ्त परिवहन फ्रीबीज नहीं है, बल्कि आज समाज के लिए ये बेहद जरूरी हैं।
आपको बता दें कि 3 अगस्त को उपाध्याय की याचिका पर विचार करते हुए सीजेआई एनवी रमणा ने कहा था कि कोई भी सियासी दल फ्रीबीज को जाने नहीं देना चाहता, यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी इसे ‘आर्थिक आपदा का रास्ता’ बताया था। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग से इस परेशानी से निपटने के लिए रास्ते तलाशने की अपील की थी।
आप ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता (उपाध्याय) एक विशेष राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जनहित याचिका माध्यम का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने किसी विशेष सत्तारूढ़ दल के साथ अपने वर्तमान या पिछले संबंधों का खुलासा नहीं किया है और इसके बजाय खुद को एक ‘सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता’ के रूप में पेश किया है।
यहां तक कि अर्जी में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता के सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मजबूत संबंध हैं और वह पूर्व में इसके प्रवक्ता और इसकी दिल्ली इकाई के नेता के रूप में कार्य कर चुके हैं। जनहित के नाम पर याचिकाकर्ता की याचिकाएं, अक्सर पार्टी के राजनीतिक एजेंडा से प्रेरित होती हैं तथा पूर्व में इस न्यायालय की आलोचना के दायरे में आए हैं।’