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अदाणी समूह ने कहा- कुल कर्ज की तुलना में दोगुनी दर से बढ़ रही आय, SEBI ने SC में कही ये बात

नई दिल्ली। अदाणी समूह ने मंगलवार को शेयर बाजारों को सूचित किया कि उसकी आय पिछले एक दशक से उसके कुल कर्ज की तुलना में दोगुनी दर से बढ़ रही है। शेयर बाजार को भेजी सूचना में समूह ने कहा, ‘2013 से हमारा एबिट्डा (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization) 22 फीसदी सीएजीआर (Compound annual growth rate) से लगातार बढ़ा है। साथ ही हमारा कर्ज केवल 11 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा है।

समूह ने अपने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अपने बहुचर्चित वित्तपोषण मॉडल के बारे में कहा कि इन्हें बुनियादी ढांचा वित्त के वैश्विक मानकों के अनुरूप ऋण और इक्विटी के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है।

समूह ने कहा, 3,70,000 करोड़ रुपये से अधिक की हमारी पोर्टफोलियो परिसंपत्तियों में से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का रन-रेट एबिट्डा (EBITDA) हासिल होता है, जो अदाणी को दुनिया में सबसे ज्यादा प्रोफिटेबल लार्ज स्केल इन्फ्रास्ट्रक्चर (Large Scale Infrastructure) और रियल एसेट प्लेटफॉर्म्स में रखता है। हमने बुनियादी ढांचे के वित्त के वैश्विक मानकों के अनुरूप ऋण और इक्विटी के रूढ़िवादी मिश्रण के माध्यम से इन परिसंपत्तियों को वित्तपोषित किया है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि समूह कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। समूह ने इन खबरों के आरोपों का खंडन करते कहा, हमारा कुल शुद्ध ऋण लगभग 1,96,000 करोड़ रुपये है, जो 3.21 गुना के शुद्ध ऋण और रन-रेट एबिट्डा अनुपात बताता है।

इस बीच, अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज ने अक्तूबर-दिसंबर 2022 की तिमाही के लिए 820 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ दर्ज किया, जबकि एक साल पहले उसे 11.63 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। परिचालन से कंपनी का राजस्व पिछले साल के 18,757.9 करोड़ रुपये से 42 प्रतिशत बढ़कर 26,612.2 करोड़ रुपये हो गया।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद बाजार गतिविधियों की कर रहे जांच: सेबी
शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह नियमों के किसी भी उल्लंघन का पता लगाने के लिए अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के पूर्व और बाद की बाजार गतिविधियों की जांच कर रहा है। सेबी ने शीर्ष अदालत को बताया कि वह शॉर्ट सेलिंग या बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है।

सेबी ने यह भी कहा है कि अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट से शेयर बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। सेबी ने शीर्ष अदालत से कहा, उसके पास अनवरत कारोबार सुनिश्चित करने और शेयर बाजार में अस्थिरता से निपटने के लिए मजबूत ढांचा है। साथ ही सेबी ने कहा, विकसित प्रतिभूति बाजार, दुनियाभर में शॉर्ट सेलिंग को ‘वैध निवेश गतिविधि’ के रूप में मानते हैं। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह शॉर्ट सेलिंग के नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच कर रहा है।


भारतीय बाजार पूर्व में देख चुका और भी बुरी अस्थिरता
सेबी ने कहा, भारतीय बाजार पूर्व में और भी बुरी अस्थिरता देख चुका है, विशेषकर कोरोना महामारी के समय, जब दो मार्च, 2020 से 19 मार्च, 2020 (13 कारोबारी दिवस) के बीच निफ्टी लगभग 26 प्रतिशत गिर गया था। बाजार अस्थिरता को देखते हुए सेबी ने 20 मार्च, 2020 को अपने मौजूदा बाजार तंत्र की समीक्षा की थी और कुछ बदलाव किए थे।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित दो याचिकाओं के जवाब में सेबी ने लिखित नोट दाखिल किया। इनमें से एक याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी, जिसमें हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक समिति गठित करने की मांग की गई थी। एक अन्य याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने अमेरिकी कंपनी के खिलाफ जांच की मांग की है, जिसकी रिपोर्ट के कारण अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई है।

सेबी ने कहा कि मामला जांच के शुरुआती चरण में है, इसलिए जारी कार्यवाही के बारे में विवरण सूचीबद्ध करना उचित नहीं है। सेबी ने शीर्ष कोर्ट को हिंडनबर्ग के बारे में भी अवगत कराया और बताया कि हिंडनबर्ग अमेरिका में अन्य कंपनियों के बीच एक शॉर्ट सेलर रिसर्च कंपनी है, जो उन कंपनियों पर शोध करती है जिनके बारे में उनका मानना है कि उनके पास शासन या वित्तीय मुद्दे हैं।

हिंडनबर्ग की रणनीति के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताया
इसने हिंडनबर्ग की रणनीति के बारे में भी बताया और यह भी बताया कि कैसे यह मौजूदा कीमतों पर ऐसी कंपनियों के बॉन्ड/शेयरों में एक शॉर्ट पॉजिशन (जैसे बिना वास्तविक होल्डिंग के बॉन्ड या शेयर बेचना) लेता है और फिर उनकी रिपोर्ट प्रकाशित करता है। यदि बाजार रिपोर्टों पर भरोसा करते हैं, तो बॉन्ड या शेयरों की कीमतें गिरने लगती हैं।

सेबी ने कहा कि गिरावट शुरू होने के बाद अन्य संस्थान जिनके पास स्टॉप लॉस लिमिट है, वे भी बॉन्ड/शेयरों की अपनी होल्डिंग बेचना शुरू कर देते हैं, भले ही वे रिपोर्ट पर भरोसा करें या न करें, इस तरह बॉन्ड/शेयर की कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो जाता है। तब शॉर्ट सेलर कम कीमतों पर शेयर या बॉन्ड खरीदते हैं, इस प्रकार लाभ कमाते हैं। जितना अधिक बाजार उनकी रिपोर्ट पर भरोसा करता है, उतना ही स्टॉप लॉस सीमा मिलती है। सेबी ने कहा कि बॉन्ड/शेयरों की कीमतें जितनी अधिक गिरती हैं और वे उतना ही अधिक पैसा कमाते हैं।

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