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अफगानिस्तान : अशरफ गनी सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर बना रहा तालिबान

काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan)में ताजा सूरत यह है कि रणनीतिक और कारोबारी महत्व के ज्यादातर इलाकों पर तालिबान (Taliban) ने कब्जा जमा लिया है। खबरों के मुताबिक तालिबान (Taliban) ने व्यापार के प्रमुख सात बड़े और छोटे मार्गों पर नियंत्रण (Control over seven major and minor trade routes) कायम कर लिया है। ये रास्ते हेरात, फारहा, कंधार, कुंडुज, ताखर और बादाखश्तान राज्यों से गुजरते हैं। यहां से गुजरने वाले रास्तों से 2.9 अरब डॉलर का सालाना आयात-निर्यात होता है। ये व्यापार मार्ग पाकिस्तान(Pakistan), ईरान(Iran), ताजिकिस्तान(Tajikistan) और तुर्कमेनिस्तान(Turkmenistan) के बीच है।
दूसरी तरफ, राष्ट्रपति अशरफ गनी(President Ashraf Ghani) सरकार के नियंत्रण में अभी भी नांगरहार, पकत्या, पकतिका, खोश्त और निमरोज प्रांत में मौजूद व्यापार मार्ग हैं। वहां से गुजरने वाले रास्तों से दो अरब डॉलर से अधिक का आयात-निर्यात होता है। उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान की सीमा में प्रवेश करने वाले दो मार्ग जोवजान और बाल्ख प्रांतों में हैं, जहां से 1.7 अरब डॉलर का कारोबार होता है। इन प्रांतों पर कब्जे के लिए सरकारी बलों और तालिबान के बीच फिलहाल लड़ाई चल रही है।
गौरतलब है कि पश्चिम में अफगानिस्तान की सीमा ईरान, पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान और उत्तर में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से मिलती है। उधर देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से जाने वाला वाखान गलियारा अफगानिस्तान को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है।



सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान ने अपना ध्यान अफगान सरकार के संसाधनों के स्रोतों को जाम करने पर टिका रखा है। वह उसके लिए ऊर्जा और यहां तक खाद्य पदार्थों की सप्लाई को बाधित कर देना चाहता है।
पाकिस्तान में बलूचिस्तान सरकार के सलाहकार रह चुके जेन अचकजई ने का कहना है कि अगर तालिबान ने रणनीति महत्व की सप्लाई लाइनें जाम कर दीं और सीमाई इलाकों पर काबिज हो गया, तो गनी सरकार टिक नहीं पाएगी। उन्होंने कहा- ‘फिलहाल शक्ति संतुलन तालिबान के पक्ष में झुक गया है। पड़ोसी देश इस संभावित स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकते। आप चाहे तालिबान को पसंद करें या नहीं, लेकिन हकीकत यही है कि अमेरिका ने अपनी फौज की वापसी के जरिए अफगानिस्तान को एक तश्तरी में रख कर तालिबान को सौंप दिया है।’
अफगानिस्तान के बारे में किताब लिख चुके डेविड मैंसफील्ड ने कहा- ‘तालिबान की बॉर्डर क्रॉसिंग्स पर कब्जा जमाने की कोशिशों का मूल्यांकन करने की जरूरत है। मेरी राय में तालिबान केंद्रीय सरकार को उसके घरेलू टैक्स आधार से वंचित कर देना चाहता है।’ इसके पहले एक ट्विट में मैंसफील्ड ने कहा था- ‘ऐसा लगता है कि तालिबान सीमा पार से होने वाले व्यापार पर अफगानिस्तान की निर्भरता का इस्तेमाल कर काबुल स्थित सरकार को बंधक बनाने की कोशिश कर रहा है। अब सवाल है कि क्या पड़ोसी देश व्यापार फिर से शुरू कर तालिबान को सीमा चौकियां संचालित करने वाली वैध ताकत के रूप में स्वीकार करेंगे?’
अफगानिस्तान लगभग 2.24 अरब डॉलर का सोना, फल, पशुओं की त्वचा, और ड्राई फ्रूट का सालाना निर्यात करता है। वह 6.92 अरब डॉलर के खाद्य पदार्थों, पेट्रोलियम पदार्थों, मशीनरी, धातु और उससे बनी चीजों का आयात करता है। ये सारा व्यापार चीन, ईरान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान से लगी सीमाओं के जरिए होता है। अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा एक अरब डॉलर का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात को होता है। पाकिस्तान, भारत, अमेरिका और चीन को भी वहां से निर्यात होता है। वह सबसे ज्यादा आयात पाकिस्तान और रूस से करता है। इनके अलावा उसके आयात के मुख्य स्रोत उज्बेकिस्तान, ईरान, चीन, तुर्कमेनिस्तान, जापान और कजाखस्तान हैं।

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