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कोरोना के बाद अब इस खतरनाक बीमारी ने बढ़ाई टेंशन, दक्षिण कोरिया में मिला पहला मामला

नई दिल्ली। चीन में तबाही मचा रहे कोरोना के बीच दक्षिण कोरिया में एक बेहद खतरनाक (dangerous) और जानलेवा बीमारी (life-threatening illness) का पता चला है. वहां एक व्यक्ति की ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ (PAM) बीमारी की वजह से मौत हुई है जो नेग्लरिया फाउलेरी नामक ब्रेन-ईटिंग अमीबा की वजह से फैलती है. दिमाग में संक्रमण फैलाने की वजह से नेग्लरिया फाउलेरी अमीबा को ब्रेन-ईटिंग अमीबा (brain-eating amoeba) कहा जाता है. पानी से फैलने वाला यह अमीबा खतरनाक और जानलेवा प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस रोग का कारण है.

दक्षिण कोरिया में मिला पहला मामला
कोरियाई टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, थाईलैंड से लौटे एक दक्षिण कोरियाई व्यक्ति की मौत की वजह से यह बीमारी बताई गई है. नेग्लरिया फाउलेरी अमीबा आमतौर पर गर्म ताजे पानी के स्रोतों में पाया जाता है.

अमीबा से संक्रमित व्यक्ति की 11 दिन में हुई मौत
रिपोर्ट में कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी (KDCA) के हवाले से बताया गया कि 50 वर्षीय व्यक्ति 10 दिसंबर को कोरिया में आने से पहले चार महीने तक थाईलैंड में रह रहा था. यह व्यक्ति जैसे ही दक्षिण कोरिया (South Korea) पहुंचा, उसी शाम से उसे मेनिन्जाइटिस बीमारी के लक्षण महसूस होने लगे. इस बीमारी में दिमाग में सूजन हो जाती है जिसकी वजह से मरीज को सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बोलने में दिक्कत और गर्दन में जकड़न जैसी परेशानियां होती हैं. लक्षण दिखाई देने के बाद 11 दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई.


द कोरियन टाइम्स ने कहा कि यह देश में नेग्लरिया फाउलेरी संक्रमण का पहला मामला है जिसकी पुष्टि हुई है. द कोरियन टाइम्स ने यह भी बताया कि केडीसीए ने अभी तक इस बीमारी के प्रसारण की जानकारी का खुलासा नहीं किया है.

क्या है ये बीमारी और कैसे फैलती है
यह बीमारी ब्रेन ईटिंग अमीबा की वजह से होती है जो मिट्टी के अलावा झीलों, नदियों और झरनों जैसे गर्म मीठे पानी के स्रोतों में पाया जाता है. ये पानी के जरिए व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है.

नेग्लरिया फाउलेरी अमीबा के कारण होने वाली बीमारी को ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ (PAM) कहा जाता है जिसे व्यापक रूप से जानलेवा माना जाता है क्योंकि साल 1962 से 2021 तक अमेरिका में इस संक्रमण से प्रभावित हुए 154 लोगों में केवल चार लोग ही जीवित बच पाए थे.

‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ बीमारी का शुरुआती चरणों में पता लगाना मुश्किल है क्योंकि यह तेजी से फैलती है और इसका पता आमतौर पर रोगी की मृत्यु के बाद चल पाता है.

इस बीमारी के लक्षणों (symptoms) के दो सेट होते हैं. मरीजों को पहले चरण में सिर के आगे हिस्से में तेज दर्द, बुखार, मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है. वहीं, दूसरे चरण में गर्दन में अकड़न, दौरा पड़ना, मानसिक तौर पर असंतुलन और हैलुसिनेशन्स (भ्रम) जैसे लक्षण होते हैं. गंभीर मामलों में मरीज कोमा में भी जा सकता है.

ये है राहत वाली बात
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, वर्तमान में नेग्लरिया फाउलेरी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का कोई प्रमाण नहीं है. यह किसी के खांसने, छींकने और सांस के जरिए भी नहीं फैल सकता है.

इस बीमारी के लिए वर्तमान में कोई टीका नहीं है लेकिन बीमारी का इलाज कुछ दवाओं जैसे कि एम्फोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन को मिलाकर किया जा सकता है. इन दवाओं के संयोजन से कई रोगी ठीक हो गए थे इसीलिए इसका इस्तेमाल इस बीमारी के इलाज में किया जाता है.

नेगलेरिया फाउलेरी या ‘ब्रेन-ईटिंग’ अमीबिक संक्रमण क्या है?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा (एक कोशिका वाला जीवित जीव) है जो व्यक्ति के मस्तिष्क में संक्रमण पैदा कर सकता है जिसकी वजह से उसे कई तरह की परेशानियां होती हैं.

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