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ध्रुव नारायण सिंह को टिकट मिलने पर फिर चर्चा में बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने हैं। चुनाव की तिथियों की घोषणा हुई नहीं कि भाजपा (BJP) ने बिना देर किए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। भाजपा ने 39 सीटों के प्रत्‍याशी (candidate) मैदान में उतार दिए हैं।

बता दें कि भोपाल मध्य से ध्रुव नारायण सिंह (Dhruv Narayan Singh) को टिकट दिया गया है। भोपाल उत्तर से आलोक शर्मा को टिकट मिला है। तो दूसरी ओर पूर्व विधायक की विधानसभा की दावेदारी के लेकर शहला मसूद के परिजनों ने मोर्चा खोल दिया है। पूर्व विधायक को भाजपा द्वारा प्रत्‍याशी बनाए जाने पर भोपाल मध्‍य विधानसभा से विरोध के स्‍वर उठने लगे हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एक हत्‍यारोपित को भाजपा चुनाव मैदान में उतार रही है।



आरोपी की प्रताड़ना से तंग आकर पीड़ित ने खाया जहर:
विदित हो कि 5 साल पहले यानि 16 अगस्त 2011 को राजधानी भोपाल की बड़ी आरटीआई एक्टिविस्ट 38 वर्षीया शहला मसूद की उसके घर के बाहर कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले को लेकर जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी इस केस की कड़ियां उलझने लगीं इस बीच मीडिया के दबाव में आकर प्रदेश सरकार ने 19 अगस्त 2011 को यह जांच सीबीआई को सौंप दी। जैसे जैसे सीबीआई की जांच आगे बढ़ी इसमें कई सनसनीखेज़ खुलासे हुए एक अप्रत्याशित प्रेम त्रिकोण भी सामने आया, जिसने जांच की दिशा ही बदलकर रख दी। इस प्रेम त्रिकोण में शामिल पात्र थेः प्रेम दीवानी जाहिदा परवेज, जिसकी शादी भोपाल के सबसे रईस बोहरा खानदानों में से एक में हुई थी। आशिक मिजाज ध्रुव नारायण सिंह और तेज तर्रार शहला मसूद, जो इवेंट मैनेजमेंट प्रोफेशनल होने के साथ आरटीआई एक्टिविस्ट भी थीं। सीबीआई की जांच के मुताबिक भोपाल के तत्कालीन भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह के जाहिदा और शहला, दोनों से वैवाहिक संबंध थे। लेकिन भाजपा ने इन पर एक बार फिर विश्‍वास जाते हुए इन्‍हें टिकट दे दिया है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक
जानकारी के लिए बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इस बैठक में मध्य प्रदेश की उन सीटों पर चर्चा की गई, जिन्हें बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में भारी अंतर से हार गई थी। या फिर जिन सीटों को बीजेपी कभी जीत ही नहीं पाई है।

केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले मध्य प्रदेश के कोर ग्रुप की नेताओं के साथ एक बैठक गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी हुई। इस बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आए विधायकों वाली सीटों को फिलहाल चर्चा में शामिल नहीं किया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के आग्रह पर ऐसी सीटों को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है। इन पर चर्चा बाद में की जाएगी।

 

तीन साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत करके अपने 18 विधायकों के साथ बीजेपी का रुख कर लिया था। साल 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि इसी के चलते बीजेपी इस बार चुनावों की तारीखों का एलान होने से पहले ही चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों की चयन में जुट गई।

बता दें कि 2018 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 15 सीट पर ही जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 68 विधानसभा सीटें जीतकर सरकार बनाई। अब बीजेपी के कई मुद्दों को लेकर तैयारी में जुटी है और जिन सीटों पर हार मिली, उसके कारणों का पता लगाकर आगे की रणनीति बना रही है।

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