नई दिल्ली । पिछले साल के मोरेटोरियम (Moratorium) के दौरान ग्राहकों को राहत मिली। लेकिन एक बड़ा सवाल यह था कि क्या बैंक (Bank) ब्याज पर ब्याज वसूल सकते हैं। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ किया कि बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं। अदालत (Court) ने अपने फैसले में 2 करोड़ से ऊपर के ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) वसूल नहीं करने के निर्देश दिए। अब अदालत के फैसले के बाद बैंको को इस क्वार्टर में 7,000 करोड़ से अधिक की लागत आएगी। बताया जा रहा है कि सरकार ने क्षतिपूर्ति की अदायगी में अनिच्छा जताई है।
2 करोड़ तक के मामलों में बैंकों को सरकारी मदद
सरकार ने 1 मार्च-31 अगस्त की स्थगन अवधि के दौरान 2 करोड़ तक के ऋण पर अच्छे चक्रवृद्धि ब्याज अदा करने पर सहमति जताई है। इस संबंध में बैंकों को पहले ही 6,500 करोड़ जमा कर चुकी है। हालांकि,इसने बाकी के बारे में कोई प्रतिबद्धता नहीं बनाई है, जिससे बैंकरों को हिट लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सुप्रीम आदेश की नहीं कर सकते खिलाफत
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के प्रमुख ने कहा कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (Indian Banks Association) ने सरकार के साथ मामले को उठाया है।बैंकों के पास उधारकर्ताओं को वापस करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। प्रत्येक बैंक को 300-400 करोड़ के बीच कहीं भी एक हिट लेना होगा। हम इसे (सर्वोच्च न्यायालय) के आदेश को भी चुनौती नहीं दे सकते। आदेश के अन्य सभी हिस्से अच्छे हैं। हम इस आदेश को फिर से खोलना नहीं चाहते हैं। शायद एक बार का हिट ठीक है।
सुप्रीम कोर्ट का है आदेश
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पूरे छह महीने के ऋण अधिस्थगन के लिए उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लिया जा सकता है। 7 अप्रैल को, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी उधारदाताओं को चक्रवृद्धि ब्याज को वापस लेने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों को लागू करने का निर्देश दिया।केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि सभी उधारदाताओं को अपने मार्च तिमाही के वित्तीय विवरणों में वापस की जाने वाली राशि का खुलासा करना होगा। इसने कहा कि यह राहत सभी उधारकर्ताओं पर लागू होगी, भले ही यह स्थगन पूरी तरह से या आंशिक रूप से लाभ उठाया गया हो या नहीं।