इंदौर न्यूज़ (Indore News)

90 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का आवंटन निरस्त, तीन साल में नहीं लगाया उद्योग, एक दर्जन कम्पनियों को नोटिस

  • कारोबारियों के खिलाफ शुरू की कार्रवाई, आरके क्रेन पाट्र्स एंड कंटेनर के खिलाफ पट्टा निरस्ती आदेश

इंदौर। एक तरफ कई उद्योगोंं-निवेशकों को जमीन की तलाश है, वहीं कई ऐसे भी हैं, जो सालों से जमीनें आवंटित करवाकर बैठे हैं और शर्त के मुताबिक उद्योग स्थापित नहीं किए। अब ऐसे उद्यमियों को नोटिस थमाए जा रहे हैं और प्रक्रिया पूरी करने के बाद उनसे आवंटित जमीनें वापस ली जाएंगी, ताकि अन्य को दी जा सके। अभी एमपीआईडीसी ने 90 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया। उक्त जमीन इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रीयल पार्क पीथमपुर-5 में मेसर्स आरके क्रेन पाट्र्स एंड कंंटेनर्स मैन्यूफेक्चरिंग इंडस्ट्री को 2021 में आवंटित की गई थी, लेकिन अभी तक इस जमीन पर कोई उद्योग नहीं लगाया, जिसके चलते आवंटन निरस्त कर कब्जे लेने की कार्रवाई की जा रही है। उक्त फर्म द्वारा बार-बार काम शुरू करने की फर्जी जानकारी नोटिसों के जवाब में दी जा रही, जबकि मौके पर किसी तरह की कोई गतिविधि नहीं पाई गई।

एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक प्रतुल्लचंद्र सिन्हा ने एक आदेश जारी करते हुए भूमि आवंटन और पट्टा निरस्तीकरण कर दिया। इस मामले में तथ्य यह है कि भूखंड क्रमांक 2-ए, जिसका क्षेत्रफल 9028.580 वर्गमीटर यानी 90 हजार स्क्वेयर फीट होता है। इस जमीन को आरके क्रेन पाट्र्स एंड कंटेनर्स को 10 फरवरी 2021 को आवंटित किया गया था और इसका पट्टा फर्म के पक्ष में 09.04.2021 को कराया गया और 27.04.2021 को रिक्त अवस्था में जमीन का कब्जा सौंपा गया। लीज डीड की शर्त क्रमांक 9 के मुताबिक निर्धारित समयावधि में औद्योगिक इकाई शुरू कर उत्पादन की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जाना थी।

मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2019 की शर्त क्रमांक 16 के मुताबिक आधिपत्य प्राप्ति से दो साल के अंदर अगर उद्योग स्थापित कर उत्पादन शुरू नहीं किया जाता तो आवंटन निरस्त किया जा सकता है। उक्त फर्म द्वारा इस अवधि में कोई कार्य नहीं किया गया और जब विभाग द्वारा मौका-मुआयना पिछली 15 मार्च को करवाया तो पता चला कि भूखंड पूरी तरह से रिक्त अवस्था में मौजूद है। अलबत्ता भूखंड पर बाहरी वाहनों की पार्किंग अवश्य नजर आई, जिसके जवाब में उक्त इकाई के संचालक मोहम्मद रफीक मंसूरी को सूचना दी गई, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आवंटित भूखंड के तीनों तरफ निगम द्वारा निर्धारित मार्गों पर भारी वाहनों की पार्किंग से दुर्घटना की संभावना भी व्यक्त की गई। इतना ही नहीं, वार्षिक देय राशि ढाई लाख से अधिक का भुगतान भी नहीं किया और जब भूखंड निरस्ती का पत्र भिजवाया तो उसके जवाब में संचालक का स्वास्थ्य खराब होने, वर्षाकाल खत्म होने सहित अन्य बहाने बनाए जाते रहे। पूर्व में दिए गए जवाबों के बावजूद जब मौके पर किसी तरह की कोई प्रगति एमपीआईडीसी ने नहीं पाई तो अभी पिछले दिनों उक्त भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया।

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