इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

इन्दौर में 15 एकड़ न्याय नगर की जमीन के साथ 49 लाख भी मद्दा ने हड़पे

  • जमीन मालिकों से पौने 2 करोड़ का अनुबंध संस्था के नाम करवाया और फिर जमीन की रजिस्ट्री अपनी जेबी संस्था के नाम करवा ली भगोड़े भूमाफिया ने

इंदौर। भूमाफियाओं (land mafia) के चंगुल ( clutches) में फंसी न्याय विभाग कर्मचारी गृह विभाग (justice department employees home decision department) की साधारण सभा (general assembly) कल आयोजित हुई, जिसमें पीडि़तों (victims) ने अपना दुखड़ा अधिकारियों के समक्ष सुनाया, जिसमें सेवानिवृत्त जज-वकीलों से लेकर पुलिसकर्मी ( policemen) और अन्य भूखंड पीडि़त (plot victims) शामिल रहे। एक और बड़ा फर्जीवाड़ा (fraud) यह भी सामने आया भगोड़े और ईनामी भूमाफिया (land mafia) दीपक जैन उर्फ मद्दा ने न्याय नगर संस्था की 15 एकड़ जमीन भी हड़प ली और इस जमीन के मालिकों से अनुबंध भी कर लिया और जेबी संस्था त्रिशला गृह निर्माण में यह जमीन शामिल कर डाली। जबकि लगभग पौने 2 करोड़ रुपए का अनुबंध जमीन मालिकों ने न्याय नगर संस्था के साथ किया और जमीन खरीदी के एवज में 49 लाख 41 हजार का भुगतान भी कर दिया और जमीन की रजिस्ट्री संस्था के पक्ष में नहीं करते हुए मद्दा की संस्था में कर डाली। यानी 15 एकड़ जमीन के साथ-साथ 49 लाख 41 हजार रुपए की टोपी भी न्याय नगर संस्था को पहना दी गई।
कलेक्टर मनीष सिंह (collector Manish Singh) ने एक बार फिर भूमाफियाओं (land mafia) के खिलाफ ठप पड़ी मुहिम को गति देने के प्रयास किए हैं। दरअसल, जनवरी, फरवरी और मार्च में भूमाफियाओं (land mafia) के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी पुलिस, प्रशासन को कार्रवाई की पूरी छूट दी। अयोध्यापुरी, पुष्प विहार, श्री महालक्ष्मी नगर में पीडि़तों को कब्जे भी दिलवाए गए और अब इसी तरह की प्रक्रिया न्याय नगर और न्याय नगर एक्सटेंशन में भी की जा रही है। लिहाजा अब भंग पड़ी न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण की साधारण सभा (general assembly) कल आयोजित करवाई गई, ताकि लम्बित प्रस्तावों की मंजूरी के साथ नए सिरे से संचालक मंडल के गठन की प्रक्रिया शुरू की जा सके। अभी इस संस्था के प्रशासक सहकारी निरीक्षक प्रवीण कुमार जैन हैं, जिन्होंने संस्था में अभी तक हुई गड़बडिय़ों का लेखा-जोखा भी साधारण सभा (general assembly) में प्रस्तुत किया। वहीं पीडि़तों (victims) ने भी अपना दुख बताया कि सालों बाद भी वे अपने भूखंडों का कब्जा नहीं ले पाए हैं। दरअसल एमआर-10 के दोनों तरफ मौजूद संस्था की बेशकीमती जमीनें भूमाफियाओं (land mafia) ने अन्य संस्थाओं की तरह हड़प ली। दीपक मद्दा ने बब्बू-छब्बू जैसे गुंडों की मदद से अवैध कब्जे करवाए और नोटरी पर ही पक्के मकान बनवा दिए। इतना ही नहीं, दिलावर, शोहराब और इस्लाम जो कि खजराना की संस्था में शामिल जमीनों के मालिक हैं, उनसे 15.81 एकड़ जमीन का अनुबंध 05.08.1998 को 11 लाख रुपए प्रति एकड़ के मान से 1 करोड़ 73 लाख 95 हजार में न्याय नगर संस्था से किया। संस्था ने इस अनुबंध के एवज में शुरुआत में 49 लाख 41 हजार का भुगतान भी जमीन मालिकों को कर दिया, लेकिन जमीन की रजिस्ट्री न्याय विभाग कर्मचारी संस्था में करवाने की बजाय दीपक मद्दा ने अपनी जेबी संस्था त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था में करवा दी। इतना ही नहीं, मद्दा ने बकायदा दिलावर, सोहराब और इस्लाम से सहमति लेख भी निष्पादित किया, जिसकी कॉपी भी अग्निबाण के पास उपलब्ध है, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि 01.02.2008 को खजराना की जमीन सर्वे नम्बर 172/1, 172/2, 173 और 174/4 की जमीन त्रिशला गृह निर्माण के पक्ष में रजिस्ट्री के जरिए करवा दी गई।


गैर सदस्यों को बिके भूखंडों का चिन्हांकन भी होगा

न्याय नगर संस्था में कुल 2622 सदस्य हैं, जिसमें से 209 न्याय नगर मैन के हैं, जिनकी रजिस्ट्री होकर कालोनी पूर्ण हो चुकी है और न्याय नगर एक्सटेंशन में 1177 रजिस्ट्रीधारक सदस्य हैं। इस तरह फिलहाल 1406 सदस्य बताए गए हैं। नियम विरूद्ध गैर सदस्यों (non members) को भी भूखंडों का विक्रय भूमाफियाओं ने करवा दिया। लिहाजा तय किया गया कि जिन गैर सदस्यों (non members) को भूखंडों को पंजीयन अभिलेख निष्पादित किए गए हैं ऐसे भूखंडों का भी चिन्हांकन किया जाएगा। वैसे 1078 सदस्य अपात्र भी बताए गए हैं।

देवी अहिल्या के संचालक मंडल का होगा निर्वाचन
प्रशासनिक पहल मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी मनीष श्रीवास्तव ने देवी अहिल्या श्रमिक कामगार संस्था के संचालक मंडल के निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। अपर कलेक्टर डॉ. बेड़ेकर के मुताबिक सदस्यता सूची को अंतिम रूप देने के लिए तहसीलदार सुदीप मीणा को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त किया गया है। 26 जुलाई को सूची का प्रकाशन होगा। 2 अगस्त तक आपत्तियां प्राप्त करने के बाद 4 अगस्त तक उनका निराकरण और फिर अंतिम सदस्यता सूची का प्रकाशन 4 अगस्त को और सुनवाई बाद अंतिम सूची 16 अगस्त को जारी होगी।


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