भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

ग्वालियर की हार को आसानी ने नहीं पचा पाएगी मप्र भाजपा

  • जो अभी तक कांग्रेस के साथ होता था, अब भाजपा के साथ होने लगा

भोपाल। प्रदेश में पहले चरण के नगरीय निकाय चुनाव परिणाम की तस्वीर साफ हो गई है। इसमें भाजपा को ग्वालियर, छिंदवाड़ा और जबलपुर महापौर गंवानी पड़ी है। ग्वालियर और जबलपुर की हार को भाजपा आसानी से नहीं पचा पाएगी। क्योंकि इस हार से भाजपा को अगले चुनाव होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। भाजपा में ग्वालियर की हार पर सबसे ज्यादा माथा-पच्ची हो रही है। क्योंकि इस सीट पर भाजपा के सबसे ज्यादा नेताओं ने ताकत झोंकी थी। इस हार को ग्वालियर में भाजपा की अंदरूनी कलह से जोड़कर भी देखा जा रहा है। साथ ही भाजपा में ही यह भी कहा जाने लगा है कि ग्वालियर-चंबल में अभी तक जो कांग्रेस में होता आ रहा था, वह अब भाजपा में होने लगा है।

ग्वालियर में महापौर प्रत्याशी के चयन से लेकर मतदान तक नेताओं के बीच खींचतान चलती आ रही थी। अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए पहले तो दोनों केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेन्द्र सिंह तोमर के बीच टकराव की स्थिति बनी थी। यही वजह रही कि महापौर टिकट मामला दिल्ली तक पहुंच गया था। अंत: में नरेन्द्र सिंह तोमर खुद की विरोधी रही सुमन शर्मा को महापौर प्रत्याशी बनवाने में सफल रहे। टिकट की घोषणा के बाद से तोमर ने ग्वालियर में ही डेरा डाल लिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने सभाएं और रोड शो किए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ग्वालियर में रोड शो एवं सभाएं की थी। इसके बावजूद भी भाजपा महापौर प्रत्याशी को चुनाव नहीं जिता पाई है। चुनाव परिणाम के साथ ही ग्वालियर में महापौर प्रत्याशी की हार का ठीकरा केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के सिर फोडऩा शुरू कर दिया है। साथ ही भाजपा की अंदरूनी कलह भी खुलकर सामने आ रही है। ग्वालियर में भाजपा का एक खेमा हार के लिए दूसरे खेमे को जिम्मेदार ठहरा रहा है। हालांकि इस मामले में अभी तक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेन्द्र सिंह तोमर को कोई सीध्ीा प्रतिक्रिया नहीं आई है।


शिवराज-वीडी ने बनाई दूरी
ग्वालियर की मौजूदा सियासत से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने फिलहाल दूरी बना ली है। दोनों नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत के साथ हिस्सा लिया था, लेकिन नेताओं की आपसी गुटबाजी से दूर हैं। संगठन सूत्र बताते हैं कि ग्वालियर महापौर के टिकट चयन में मप्र भाजपा संगठन ने उतना जोर नहीं लगाया, जितना लगाना था। यही वजह रही कि ग्वालियर महापौर प्रत्याशी चयन का मामला दिल्ली तक पहुंच गया था।

जबलपुर में संघ को झटका
मप्र में भाजपा की सियासी जड़े जितनी गहरी हैं, उसका पूरा श्रेय संघ को जाता है। मप्र में पिछले कुछ चुनावों से संघ का प्रत्याशी चयन में दखल बढ़ता जा रहा है। जबलपुर और इंदौर के महापौर प्रत्याशी चयन सीधे तौर पर संघ की पसंद के हैं। इंदौर में महापौर प्रत्याशी का शुरूआती विरोध के बाद भाजपा भारी बहुमत से जिता लाई है, लेकिन जबलपुर में मप्र भाजपा संघ की पसंद पर जीत का सेहरा बंधवाने में असफल रही है। जबलपुर की हार से संघ को झठका लगा है। इस हार को महाकौशल से भाजपा विधायकों की नाराजगी को भी जोड़कर देखा जा रहा है।

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