नई दिल्ली । अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) के बढ़ते वर्चस्व के बीच संयुक्त राष्ट्र से उन महिलाओं की रक्षा की गुहार लगायी गयी है, जो तालिबान (Taliban) के कब्जे वाले इलाके में हैं और वहां तालिबान ने महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं। खबर है कि तालिबान ने देश के 34 प्रांतों के सौ से अधिक जिलों पर कब्जा कर लिया है।
अफगानिस्तान की पार्लियामेंट के स्पीकर मीर रहमान रहमानी ने आम सत्र के दौरान कहा कि तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में महिलाओं से अमानवीयता और इस्लाम विरोधी भेदभाव चिंता का विषय है। रहमानी ने संयुक्त राष्ट्र, अफगानिस्तान मानवाधिकार आयोग, यूरोपियन कमीशन सहित महिलाओं के लिये काम करने वाली दूसरी संस्थाओं द्वारा ऐसे तमाम मामलों में तटस्थ आकलन की जरूरत बतायी।
अफगानिस्तान टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी फौज की वापसी के साथ देश के कई इलाकों में तालिबान ने कब्जा कर लिया है। इन इलाकों में महिलाओं पर वैसी ही कठोर पाबंदियां लागू कर दी गयी हैं जो 1996 से 2001 तक तालिबानी शासन के दौरान बर्बर तरीके से लागू किये गए थे। उसमें सरकारी कार्यालयों में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी लगा दी थी और लड़कियों के स्कूल और कॉलेज बंद कर दिये थे। महिलाओं को अनिवार्य रूप से बुर्का के इस्तेमाल और बिना किसी पुरुष सहयोगी के घर से बाहर नहीं निकलने के आदेश थे।
बता दें कि तालिबान के ऐसे ही कठोर प्रतिबंध उसके कब्जे वाले इलाकों में फिर से लागू किये जाने की रिपोर्ट है। बल्ख प्रांत के गवर्नर फरहाद अजिजी का कहना है कि आतंकवादियों ने उन महिलाओं को मार डाला, जिन्होंने अनिवार्य रूप से शरीर ढंकने के उनके आदेशों का उल्लंघन किया। हालांकि विद्रोही समूह के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने महिलाओं पर किसी प्रतिबंध की बात को खारिज करते हुए कहा कि महिलाओं के साथ तालिबान का व्यवहार शरिया कानूनों के मुताबिक है।
Share: