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Budget 2023: बजट पास होते ही सीधे नहीं मिलने लगता है आपको फायदा, जानें क्या कहते हैं नियम?

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को देश का आम बजट पेस करेंगी. उनकी ओर से पेश किए जाने वाला यह पांचवां और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी बजट होगा. बुधवार को पेश किए जाने वाले इस बजट पर सबकी निगाहें टिकी हुईं हैं. यह बजट इसलिए भी काफी अहम कोरोना महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है. बजट में सरकार क्या-क्या बड़े कदम उठाती है इसका पता तो बुधवार को ही लगेगा लेकिन, उससे पहले यह जान लीजिए की बजट पास होने के क्या-क्या नियम कायदे हैं.

बजट को सबसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है, लेकिन इससे पहले इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी जरूरी होती है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे केंद्रीय कैबिनेट के सामने रखा जाता है. इसके बाद संसद के दोनों सदनों में इसे पेश किया जाता है. सबसे पहले इसे लोकसभा में पेश किया जाता है और फिर राज्यसभा में पेश किया जाता है. बजट के दोनों सदनों में पेश किए जाने के बाद इस पर चर्चा होती है.यहां एक बात और ध्यान रखना है कि राज्यसभा में बजट को लेकर केवल चर्चा होती है मतदान नहीं होता है. अनुदान की मांगों पर लोकसभा में मतदान होता है.


कब से अमल में आता है बजट?
बजट पास होने के बाद इसे एक अप्रैल से लागू करना होता है क्योंकि भारत में वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है अगले साल 31 मार्च को खत्म होता है. ऐसे में बजट को हर हाल में एक अप्रैल से लागू करना जरूरी होता है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (क) की अपेक्षा को पूरा करने के लिए बजट सत्र में वित्त विधेयक (Finance Bill) पेश किया जाता है. इस विधेयक में बजट से संबंधित प्रस्ताव जैसे कि टैक्स लगाने, टैक्स घटाने या फिर बढ़ाने, टैक्स माफ करने के साथ-साथ अन्य जानकारी दी जाती है. इसे दोनों सदन में पेश किया जाता है पास किया जाता है.

कैसे तैयार होता है बजट?
बजट की तैयारी शुरू करने के लिए वित्त मंत्रालय की ओर से सभी मंत्रालयों, केंद्र शासित प्रदेशों और ऑटोनॉमस बॉडी को एक सर्कुलर जारी किया जाता है. इसके बाद विभाग अपनी-अपनी जरूरतों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करते हैं और वित्त मंत्रालय को भेजते हैं. इस रिपोर्ट में वो अपने फंड और योजनाओं के बारे में वित्त मंत्रालय को बताते हैं. हर मंत्रालय इसी प्रक्रिया से गुजरते हैं और अपनी योजनाओं के लिए फंड की डिमांड करते हैं. मंत्रालयों की ओर से रिपोर्ट भेजे जाने के बाद वित्त मंत्रालय एक बैठक करता है. बजट तैयार करने की प्रक्रिया अगस्त-सितंबर में ही शुरू हो जाती है.

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