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अतीक अहमदः 17 की उम्र में मर्डर से शुरू हुए जुर्म के सफर का 61वें साल में खूनी अंत

नई दिल्ली (New Delhi)। 17 साल की उम्र से खूनी खेल (Killer sport from the age of 17) खेलने वाले अतीक अहमद (Atiq Ahmed ) का 61वें साल में खूनी ही अंत (Bloody end in 61st year) हुआ। लोगों को सरेआम मारने वाले को पुलिस हिरासत (police custody) में तीन युवकों (Three youths) ने हत्या (killed in public) कर दी। उसके साथ ही उसके भाई अशरफ को भी मार गिराया। शनिवार रात प्रयागराज में तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर दोनों भाइयों को मौत के घाट उतार दिया और सरेंडर कर दिया। इस सनसनीखेज वारदात के बाद शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है और लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है। हमलावरों के नाम सनी, अरुण और लवलेश बाताए जा रहे हैं।

अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ था। पढ़ाई-लिखाई से उसका खास मतलब नहीं था। पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर गुजर-बसर करते थे तो जाहिर है कि घर की माली स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। अतीक हाई स्कूल में फेल हुआ तो पढ़ाई छोड़ दिया। महज 17 साल की उम्र में ही अतीक ने हत्या के मुजरिम के रूप में जुर्म की दुनिया में एंट्री मारी। इसके बाद अतीक तेजी से जुर्म की सीढ़ियां चढ़ने लगा। 21-22 की उम्र आते-आते अतीक इलाहाबाद में चकिया का बड़ा गुंडा बन गया और रंगदारी का उसका धंधा चल निकला। कई माफियाओं की तरह ही अतीक अहमद ने भी जुर्म की दुनिया से सियासत की दुनिया का रुख किया था। पूर्वांचल और इलाहाबाद में सरकारी ठेकेदारी, खनन और उगाही के कई मामलों में उसका नाम आया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


अतीक पर मुकदमों का शतक
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अतीक अहमद के खिलाफ पहला मामला हत्या का दर्ज हुआ था। बात 1979 की है जब 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर कत्ल का इल्जाम लगा था। उसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल उसके जुर्म की किताब के पन्ने भरते जा रहे थे। अतीक के खिलाफ मुकदमों का शतक लग गया।

1992 में पहली बार प्रयागराज पुलिस ने अतीक अहमद का कच्चा चिट्ठा जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि अतीक अहमद के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद ही नहीं बल्कि बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हैं। अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले प्रयागराज जिले में ही दर्ज हुए। वर्तमान में अतीक के खिलाफ 102 मुकदमे हुए हो गए थे। आर्म्स एक्ट का 103वां मुकदमा दर्ज होना था।

बसपा सरकार में हुए कई मुकदमे
मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उलटी गिनती शुरू हो गई थी। पुलिस और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने अतीक अहमद की एक खास परियोजना अलीना सिटी को अवैध घोषित करते हुए उसका निर्माण ध्वस्त कर दिया था। ऑपरेशन अतीक के तहत ही 5 जुलाई, 2007 को राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ घूमनगंज थाने में अपहरण और जबरन बयान दिलाने का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद चार अन्य गवाहों की ओर से भी उनके खिलाफ मामले दर्ज कराए गए थे। दो माह के भीतर ही अतीक अहमद के खिलाफ प्रयागराज में 9, कौशाम्बी और चित्रकूट में एक-एक मुकदमा किया गया था।

नैनी जेल में दबंगई बाद हुआ था अतीक का ट्रांसफर
2008 में अतीक सांसद अतीक अहमद की नैनी जेल में भी दबंगई थी। जेल के अंदर अतीक का ही राज चलता था। जेल में पंचायत होती थी, जिसकी सदारत अतीक करता था। जरायम की दुनिया से लेकर राजनीति से जुड़े मामलों में जेल से ही समझौता कराया जाता था। जैमर लगने के बाद भी माफिया मोबाइल से बात करता था। विरोध करने पर जेलकर्मियों की जमकर धुनाई का मामला भी सामने आया था। इसी के बाद उनका नैनी जेल से देवरिया जेल ट्रांसफर किया गया।

सपा शासन में अतीक की गुंडई चरम पर थी। 2016 में शुआट्स में जाकर अतीक ने अपने साथियों के साथ मारपीट और तोड़फोड़ की थी। हमला हाईकोर्ट में पहुंचा तो अतीक पर सख्ती का दबाव बना। दिसंबर 2016 में अतीक की नैनी थाने में नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी हुई। नैनी जेल में अतीक की गुंडई शुरू हो गई। इसके बाद उसे देवरिया जेल भेज दिया गया।

योगी राज में अतीक पर शुरू हुआ मुकदमों का दौर
राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को 2016 में कचहरी में मारापीटा गया था। अतीक के जेल जाने के बाद उमेश पाल ने 2017 में कर्नलगंज थाने में अतीक समेत 49 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। आरोप था कि कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे उमेश पाल को अतीक के इशारे पर उनके समर्थकों ने पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी और सरेआम उन्हें मारा पीटा। 2017 के विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले फरवरी में अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। सारे मामलों में उसकी जमानत रद्द हो गई और तब से अतीक जेल में ही था।

प्रॉपर्टी डीलर को अगवा करने की कोशिश
धूमनगंज के एक प्रॉपर्टी डीलर मकबूल अहमद ने अतीक और उनके समर्थकों के खिलाफ कर्नलगंज थाने में मई 2017 में अगवा और धमकी देने का केस दर्ज कराया। आरोप था कि एक साल पहले उसे कचहरी के बाहर अगवा करने की कोशिश की गई थी। अतीक ने उस वक्त फोन करके उसे धमकी दी थी। कुछ साल पहले धूमनगंज में प्रॉपर्टी के विवाद में सूरजकली और उसके बेटे को गोली मार दी गई थी। इस केस में अतीक नामजद था, लेकिन पुलिस ने जांच में अतीक को बरी कर दिया था। सत्ता परिवर्तन के बाद इस केस की विवेचना फिर से शुरू हुई और पूर्व सांसद अतीक और अशरफ का नाम भी प्रकाश में आया, लेकिन धूमनगंज पुलिस ने अतीक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

प्रॉपर्टी डीलर को पीट-पीटकर अधमरा किया
अगस्त 2016 में झलवा निवासी प्रॉपर्टी डीलर व सीमेंट कारोबारी अरशद की दुकान में घुसकर पूर्व विधायक अशरफ और उसके साथियों ने मारा पीटा था। उसके दोनों हाथ-पैर तोड़ दिया। सत्ता परिवर्तन के बाद इस केस की जांच फिर शुरू हो गई है। इस केस में भी पूर्व सांसद अतीक और अशरफ को तत्कालीन धूमनगंज इंस्पेक्टर ने आरोपी बनाया था।

20 हजार के इनामी अतीक ने दिल्ली में किया था सरेंडर
गिरफ्तारी के डर से बाहुबली सांसद अतीक फरार था। उनके घर, कार्यालय सहित पांच स्थानों की सम्पत्ति न्यायालय के आदेश पर कुर्क की जा चुकी थी। पांच मामलों में उनकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश दिए गए थे। अतीक अहमद की गिरफ्तारी पर पुलिस ने बीस हजार रुपये का इनाम रखा था। इनामी सांसद की गिरफ्तारी के लिए पूरे देश में अलर्ट जारी किया गया था। मायावती के डर से अतीक अहमद ने दिल्ली में समर्पण करना बेहतर समझा। वांरट और इनाम जारी होने के 6 माह बाद दिल्ली पुलिस ने पीतमपुरा के अपार्टमेंट से उनकी गिरफ्तारी दिखाई थी। उस वक्त अतीक ने कहा था कि उन्हें यूपी की मुख्यमंत्री मायावती से जान का खतरा है। अतीक को नैनी में रखा गया।

देवरिया जेल कांड के बाद अहमदाबाद ट्रांसफर
देवरिया जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद ने न सिर्फ लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को अगवाकर रंगदारी मांगी थी बल्कि धूमनगंज के प्रॉपर्टी डीलरों को बुलाकर उनकी भी धुनाई की थी। लाखों वसूलने के बाद करोड़ों की रंगदारी मांगी। धमकी दी थी कि रुपये नहीं मिले तो जिंदा नहीं बचोगे। जेल में पिटाई का वीडियो भी बनाया गया। ब्जैद ने धूमनगंज थाने में अतीक एंड कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।

मरियाडीह दोहरे हत्याकांड में भी अतीक
अतीक के करीबी आबिद प्रधान की चेचरी बहन और चालक की मरियाडीह में 2015 में गोलियों से भून दिया गया था। आबिद ने कम्मू और जाबिर समेत सात के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस केस की अग्रिम विवेचना शुरू हो गई है। पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक समेत 15 का नाम प्रकाश में लाया, लेकिन बाद में धूमनगंज पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक को छोड़ अन्य सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

करोड़ों की प्रॉपर्टी हड़पने की साजिश
2018 में खुल्दाबाद थाने में अंजना टंडन ने अजय हेला समेत चार के खिलाफ नामजद और आधा दर्जन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। पीड़िता का आरोप है कि अतीक से जुड़े लोगों ने ही उनकी संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की। करोड़ों की संपत्ति के विवाद में पुलिस की जांच गोलमोल रही।

प्रॉपर्टी डीलर अशरफ से मांगी रंगदारी
हरवारा निवासी अशरफ ने पूर्व सांसद अतीक और उनके गुर्गे तोता समेत दस के खिलाफ धूमनगंज थाने में 2018 में दो मुकदमे दर्ज कराए थे। आरोप था कि अतीक के इशारे पर तोता और उसके साथियों ने उसे धमकी दी और लाखों रुपये रंगदारी मांगी। रुपये न देने पर हत्या की धमकी दी। पुलिस इस प्रकरण में कुछ आरोपियों को जेल भेज दी थी लेकिन अतीक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

उमेश पाल अपहरण में सजा के बाद अंत
अहमदाबाद जेल में बंद अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा होनी वाली थी। इससे पूर्व 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई। इसी केस में अतीक और उसका पूरा परिवार आरोपित किया गया। 28 मार्च को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा हुई। 13 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की काल्विन अस्पताल के अंदर हत्या कर दी गई।

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