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भारत में तेल बेचने के लिए मिल रहे लुभावने ऑफर, सऊदी अरब और रूस में मची होड़

नई दिल्‍ली । भारत (India) का रूस (Russia) से कच्चे तेल (Crude oil) का आयात पिछले पांच महीनों में पहली बार जुलाई में जाकर नीचे गिरा है. वहीं, भारत ने सऊदी अरब (Saudi Arab) से पिछले पांच महीनों के मुकाबले जुलाई में ज्यादा तेल खरीदा है. हालांकि, अभी रूस सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत को तेल बेचने के मामले में इराक के बाद दूसरे नंबर पर बना हुआ है. लेकिन सिर्फ जुलाई महीने का ही आंकड़ा देखें तो भारत ने रूस से प्रतिदिन 8 लाख 77 हजार 400 बैरल तेल खरीदा है जो जून के हिसाब से 7.3 फीसदी कम है.

दरअसल, जुलाई में भारत को सऊदी अरब से अच्छी और आकर्षक कीमत पर तेल मिला, जिससे इस महीने तेल खरीद में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक
पूरे विश्व में भारत तेल का तीसरा सबसे बड़ा इम्पोर्टर और कन्ज्यूमर है. हालांकि, जून के मुकाबले जुलाई में भारत ने कम तेल आयात किया. जुलाई में भारत ने 4.63 मिलियन बैरल प्रतिदिन आयात किया जो जून से 3.2 फीसदी कम था. इसका कारण कुछ रिफाइनरी भी रहीं जिन्होंने अगस्त महीने में मेंटेनेंस कार्य कराने का प्लान बनाया था.


सऊदी अरब मौजूदा समय में भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर है. रूस से तेल खरीदारी बढ़ने से पहले सऊदी अरब दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा तेल सप्लायर था लेकिन जब रूस से भारत को सस्ता तेल मिला तो बैरल की संख्या उधर ज्यादा बढ़ गई, जिससे सऊदी अरब थोड़ा नीचे पहुंचते हुए तीसरे नंबर पर आ गया. हालांकि, जुलाई में सऊदी की ओर से तेल सप्लाई बढ़ी और सऊदी से भारत ने 8 लाख 24 हजार 700 बैरल तेल प्रति दिन आयात किया.

आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई महीने में मिडिल ईस्ट के तेल की भारत के कुल आयात में हिस्सेदारी मामूली रूप से घट गई क्योंकि भारत ने जून महीने से इराक से खरीद में 9.3% की कटौती की जिसकी वजह से 10 महीनों में पहली बार प्रतिदिन बैरल सप्लाई 10 लाख से नीचे पहुंच गई.

वहीं आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में ओपेक देशों से भारत का कुल आयात जून के मुकाबले जुलाई में कम रहा और अप्रैल से जुलाई के बीच सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. बता दें कि ओपेक में 13 देश हैं जिनमें सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, इराक, अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, लीबिया, नाइजीरिया, और वेनेजुएला शामिल हैं.

रूस से तेल ना खरीदने को लेकर अमेरिका का था दबाव
यूक्रेन और रूस का जब युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. जिसकी वजह से रूस और भारत के बीच सस्ते दाम पर तेल की डील हो गई. इस बात पर अमेरिका भड़का लेकिन भारत ने अपनी डील जारी रखी. इसके बाद रूस धीरे-धीरे भारत को तेल बेचने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया.

पहले ये जगह सऊदी की थी लेकिन जब भारत ने कम दाम पर तेल की अच्छी डील देखी तो सऊदी से आयात कम कर दिया, जिसकी वजह से सऊदी तीसरे नंबर पर पहुंच गया. अब मार्च के बाद सीधा जुलाई में रूस से तेल थोड़ा कम खरीदा गया है और सऊदी से बढ़ाया गया है.

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