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बंद कमरों में भी पूजा करने पर रोक… ईरान में दशकों से हो रहा इन गैर-मुस्लिमों पर जुल्म

डेस्क: ये कहानी बहाई धर्म की है. ह्यूमन राइट्स वॉच यानी HRW ने कहा है कि इस्लामिक क्रांति 1979 के बाद से ईरान में इस समुदाय पर जुल्म किया जा रहा है. HRW ने इसे क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी यानी मानवता के खिलाफ अपराध बताया है. बहाई समुदाय ईरान का सबसे बड़ा गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय है. HRW का कहना है कि बहाई समुदाय पर ईरान में कई तरह के जुल्म किए जाते हैं, उन्हें उनके बुनियादी अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है, यहां तक कि वो प्राइवेट स्पेस में भी पूजा-प्रार्थना नहीं कर पाते हैं.

1800 के दशक में ईरान में गैर-मुस्लिम धर्म ‘बहाई’ की स्थापना हुई थी. बहाई एकेश्वरवादी आस्था रखते हैं, जिसका मतलब होता है किसी एक ही ईश्वर की पूजा करना. बहाई धर्म की स्थापना ईरान में ही हुई लेकिन यही वो देश है जहां पर इनके साथ सबसे ज्यादा उत्पीड़न भी किया गया. 1979 की ईरानी क्रांति के समय के बाद से इन पर होने वाले अत्याचार काफी बढ़ गए, जो कि अभी भी किए जा रहे हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि ईरानी अधिकारियों के बहाई धर्म पर किए जा रहे उत्पीड़न मानवता के अधिकार के खिलाफ हैं.

बहाई धर्म ईरान में सबसे बड़ा गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक है. दुनियाभर में लगभग 235 देशों में इसको मानने वाले लोग मौजूद हैं. न्यूयॉर्क के एक ग्रुप ने अपने बयान में कहा था कि ईरान के अधिकारी वहां रहने वाले बहाई लोगों पर मनमाने ढंग से अत्याचार कर रहे हैं, जिससे बहाई लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ईरान में बहाई लोगों की बिना वजह गिरफ्तारी, उनके संपत्ति पर कब्जा कर लेना, पढ़ाई और नौकरी के मामलों में भी काफी प्रतिबंध लगाए गए हैं, यहां तक कि उन्हें अंतिम संस्कार का भी अधिकार नहीं दिया गया है.


ह्यूमन राइट्स वॉच ने बताया कि ईरान के संविधान में बहाई धर्म के लोगों के स्वतंत्र रूप से पूजा-पाठ करने पर भी रोक है, उत्पीड़न की सीमा इतनी बढ़ चुकी है कि वह अपने घरों में भी पूजा नहीं कर सकते हैं. ईरानी अधिकारी हर वक्त बहाईयों को समय-समय पर “राज्य समर्थित घृणा अभियानों को उकसाने” के लिए अपना टारगेट बनाते हैं, जिसके बाद उनके घरों में छानबीन की जाती है और उनके सामानों को जब्त करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया जाता है या कभी-कभी पूछताछ के लिए बुलाया जाता है.

अप्रैल साल 1979 में ईरानी संविधान के बनने के समय ईरान में ईसाई, यहूदी और पारसी अल्पसंख्यकों के लिए कुछ अधिकार दिए गए, जबकि सबसे बड़े अल्पसंख्यक धर्म के लिए किसी भी तरह के अधिकारों का वर्णन नहीं किया गया. HRW ने कहा कि समय के बदलने के साथ ही इस धर्म के लोगों पर उत्पीड़न भी बढ़ता जा रहा है, जिससे उनके जीवन के हर पहलू प्रभावित हो रहे हैं. एचआरडब्ल्यू ने बहस में बताया कि बहाईयों का जीवन मौलिक अधिकार से पूरी तरह से वंचित है. बहाईयों की आस्था को ईरान के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है और ना ही संसद में उनके पास कोई रिजर्व सीट है. हैरान करने वाली बात ये है कि ईरान में बहाई धर्म के कितने लोग रहते हैं इसके बारे में किसी को भी नहीं पता है, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसा हो सकता है अभी भी कई लाख बहाई लोग ईरान में रह रहे होंगे.

जुलाई साल 2022 में बहाई समुदाय के वरिष्ठ व्यक्ति 71 साल के महवाश साबेट और 61 साल फरीबा कमालाबादी को ईरानी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था, जो कि इस वक्त 10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति की बहाई के रूप में पहचान किए जाने के बाद वहां की यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी जाती है. नौकरी की बात करें तो कई पब्लिक सेक्टर विभाग में इन्हें प्रतिबंधित किया गया है. यहां तक कि ईरान के अधिकारियों ने मौत के बाद बहाईयों के शव को दफनाने का भी अधिकार नहीं दिया है.

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