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BJP संगठन में हो सकता है बड़ा बदलाव, राज्यों की टीमों में भी फेरबदल संभव

नई दिल्ली (New Delhi)। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को देखते हुए भाजपा के संगठन में बड़ा बदलाव (Big change BJP’s organization) हो सकता है। पार्टी की केंद्रीय इकाई में बड़े बदलाव के साथ साथ चुनावी राज्यों की टीमों में भी बड़ा फेरबदल (major overhaul) देखने को मिल सकता है। सोमवार रात 10 बजे गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President JP Nadda), संगठन महामंत्री बीएल संतोष (Organization General Secretary BL Santosh) और कई अन्य शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक पार्टी कार्यालय पर हुई। दूसरे दिन मंगलवार को भी यह बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई जो देर शाम तक चलती रही। इस बैठक में इन बदलावों को लेकर गम्भीर विचार विमर्श हुआ जिसका नतीजा जल्दी ही बड़े बदलावों के रूप में दिखाई पड़ सकता है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी अपने समीकरणों को एक बार फिर से ‘रिसेट’ करने के मूड में है। पार्टी के शीर्ष नेताओं का मानना है कि जिस तरह से कांग्रेस ने लोकप्रिय योजनाओं के सहारे हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मतदाताओं को अपनी ओर खींचा है, उससे 2024 में पार्टी के सामने कई राज्यों में बड़ी चुनौती मिल सकती है। इसे देखते हुए पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है और इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।


सबसे ज्यादा बदलाव आगामी चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर देखने को मिल सकते हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव के पहले हो रहे इन विधानसभा चुनावों को 2024 के सेमीफाइनल की तरह से देखा जा रहा है। यही कारण है कि इन चुनावों की महत्ता बहुत ज्यादा बढ़ गई है। भाजपा इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर 2024 के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहती है। इसे देखते हुए इन राज्यों में पार्टी के विशेष बड़े नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

नए समीकरणों में भाजपा नए सहयोगियों के साथ सामाजिक और जातीय समीकरणों को साधते हुए नई योजनाओं के सहारे अपने वोट बैंक को साधने की कवायद कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जल्द ही कुछ अन्य लोकप्रिय घोषणाओं के साथ सामने आ सकते हैं जिससे विपक्ष के वार को भोथरा किया जा सके, संगठन में बदलाव इसकी एक अहम कड़ी साबित हो सकता है।

भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता ने बताया कि केंद्र सरकार दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं को अपने साथ रख कर आगे बढ़ने और इन वर्गों के विकास के लिए लगातार प्रयत्नशील रहने की रणनीति अपनाती रही है। इनका बहुत सकारात्मक असर भी दिखाई पड़ा है, लेकिन नए समीकरणों में इस रणनीति को नई धार दी जा सकती है।

अनुमान लगाया जा रहा है कि बदलाव की इस प्रक्रिया में संगठन के कुछ लोगों को सरकार में भेजा जा सकता है तो सरकार से कुछ नेताओं को संगठन में लाकर उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह पूरी प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी।

दरअसल, कर्नाटक चुनाव के बाद राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है। नीतीश कुमार विपक्ष की एकजुटता बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल कर रहे हैं तो कांग्रेस अपने अंदर नई ऊर्जा महसूस कर रही है। राहुल गांधी के हमले केंद्र पर ज्यादा सटीक होते दिखाई दे रहे हैं। इसे देखते हुए भाजपा बड़े बदलाव के साथ चुनावों का सामना करने की रणनीति बना रही है।

कर्नाटक चुनाव में हार का ठीकरा पार्टी संगठन महासचिव बीएल संतोष पर फूटा था। पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीएल संतोष और प्रहलाद जोशी ने अपने गुट के नेताओं को ज्यादा प्राथमिकता दी और दूसरे वर्गों को नाराज कर दिया। इसी का परिणाम हार के रूप में दिखाई पड़ा। माना जा रहा है कि नए बदलावों में इन नेताओं की भूमिका भी बदल सकती है।

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