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Bihar Politics: नीतीश कुमार के अध्यक्ष बनते ही RJD-JDU के रिश्तों में तनाव, मिल रहे संकेत

नई दिल्‍ली (New Dehli) । बिहार (Bihar)में सत्तारूढ़ दो प्रमुख सहयोगियों जनता दल (Janata Dal) और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के बीच संबंधों में ताजा तनाव (fresh tension)होता दिख रहा है। इसका ताजा कारण शुक्रवार को राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जदयू अध्यक्ष पद से हटाना हो सकता है। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस पद पर कब्जा कर लिया है। ऐसा माना जाता है कि यह कदम ललन सिंह की राजद के साथ बढ़ती निकटता से उपजा है। नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में खुद के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन पर दबाव डाल रहे हैं। ऐसे समय में वह अपनी पार्टी की एकतरफा कमान चाहते थे।


जेडीयू में हुए ताजा परिवर्तन के बाद बिहार में महागठबंधन के दो प्रमुख सहयोगियों के बीच स्पष्ट कलह के नए संकेत अब देखने को मिल रहे हैं। डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपना आधिकारिक ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द कर दिया है। यह 6 जनवरी से शुरू होने वाला था। तेजस्वी ने आईआरसीटीसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष अपनी निर्धारित उपस्थिति के एक दिन बाद यात्रा की योजना बनाई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजद के एक प्रमुख नेता ने कहा कि पार्टी राज्य की राजनीति में अनिश्चितता के समय अपने प्रमुख नेता को देश से बाहर भेजकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी ने दिसंबर में चार मौकों पर सीएम के साथ मंच साझा नहीं किया था। यह हमारे तनावपूर्ण संबंधों का संकेत हैं। सीएम अक्सर बिहार में कुशासन (राजद के कार्यकाल के दौरान) के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संदर्भ से अपने डिप्टी को शर्मिंदा करते थे।”

राजद के एक नेता ने कहा कि जनवरी दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण महीना होगा। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कैबिनेट विस्तार जल्द हो। उसके बाद हमें आश्वासन मिलेगा कि महागठबंधन बरकरार है और हम अभी भी सही और सकारात्मक मानसिकता के साथ लोकसभा चुनाव में जा सकते हैं।” आपको बता दें कि नीतीश कैबिनेट में चार मंत्रालय अभी भरे जाने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच मतभेदों के बावजूद विधानसभा में संख्या बल के कारण नीतीश कुमार को गठबंधन में बने रहने से रोका जाएगा।

उन्होंने कहा, “राजद, कांग्रेस और वाम दलों के पास कुल मिलाकर 114 विधायक हैं, जो सामान्य बहुमत से केवल आठ कम हैं। नीतीश कुमार दोबारा एनडीए के साथ जाने की जोखिम नहीं उठाएंगे क्योंकि इस प्रक्रिया में उन्हें सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। नीतीश तभी तक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं जब तक वह सीएम हैं।”

2020 के विधानसभा चुनावों में जद (यू) को राजद या भाजपा द्वारा प्राप्त सीटों की तुलना में केवल आधी सीटें मिलीं। जद (यू) को केवल 43 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 74 और राजद ने 75 सीटें जीतीं। नीतीश तब भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे। अगस्त 2022 में राजद और कांग्रेस से हाथ मिलाने तक वे भाजपा के साथ ही रहे।

जद (यू) नेताओं ने अपने गठबंधन सहयोगी के साथ किसी भी मतभेद के बारे में बात नहीं की है। हालांकि वे ललन सिंह को हटाने के बारे में मुखर हैं। वहीं, ललन सिंह ने नीतीश कुमार के साथ अनबन की चर्चा को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह उनके 37 साल से अधिक लंबे राजनीतिक करियर को धूमिल करने का प्रयास था।

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