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बिहार : आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू होंगे सौ से अधिक उद्योग, रतनपुर में बनेगा फेवर ब्लॉक

बेगूसराय । वैश्विक महामारी कोरोना ने बीते पांच महीने में हर किसी को तबाह कर दिया है। कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों ने लोगों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया है। हालांकि तबाही के बीच इसने आपदा को अवसर में बदलने का एक मौका भी दिया है। कोरोना काल का यह अवसर कभी बिहार की औद्योगिक राजधानी के रूप में चर्चित बेगूसराय को एक बार फिर औद्योगिक रूप से सशक्त बना देगा। जिसके लिए शासन-प्रशासन ही नहीं और श्रमिक भी काफी प्रयास कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत कर आपदा को अवसर में बदलने की अपील की। इसका जबरदस्त असर यह हुआ कि बेगूसराय में एक सौ से अधिक उद्योग के शुरुआत की प्रक्रिया चल रही है। अब अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बेगूसराय के लोगों को किसी भी चीज के लिए दूसरे के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा, लोकल बनेगा वोकल और हर गांव बनेगा आत्मनिर्भर। यहां जूता से लेकर कपड़ा तक, सर्फ से लेकर शैंपू तक बेगूसराय में ही तैयार होंगे। आजादी के बाद के 20 सालों में बेगूसराय का इतना विकास हुआ था कि यहां करीब 130 छोटे-बड़े उद्योगों की शुरुआत हुई थी। लेकिन बाद के दिनों में सरकार की गलत नीति, एक खास राजनीतिक दलों की अड़ंगेबाजी और रंगबाजी के कारण बेगूसराय के उद्योग धीरे-धीरे बंद होते चले गए।

आज औद्योगिक क्षेत्र विरान पड़ गए, यहां के लाखों मजदूरों ने देश के विभिन्न शहरों की ओर रुख किया और बिहारी श्रम शक्ति के बल पर देश के तमाम शहर विकसित और प्रगतिशील बन गए। लेकिन अब जब कोरोना कहर बरसाना शुरू किया, तो देश के तमाम शहर में रह रहे करीब डेढ़ लाख से अधिक कुशल और अकुशल श्रमिक अपने घर आ गए हैं। हालांकि सरकारी रिकार्ड के अनुसार इनकी संख्या करीब 26 हजार ही है। पंजीकृत इन 26 हजार श्रमिकों को रोजगार दिलाने, उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। जिसका असर भी हो रहा है तथा बड़ी संख्या में लोगों ने फेवर ब्लॉक, सर्फ, साबुन, हैंडवाश, सैनिटाइजर जूता, चप्पल, रेडीमेड कपड़ा आदि उद्योग के शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए शासन के साथ समाजिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अभियान शुरू कर रखा है।

इसी कड़ी में नगर निगम क्षेत्र के रतनपुर में फेवर ब्लॉक निर्माण उद्योग की शुरुआत किया जा रहा है, इसके लिए कलस्टर और टीम बना लिए गए हैं। जिसमें बादल कुमार को अध्यक्ष, निशांत कुमार को सचिव, दिलखुश कुमार को कोषाध्यक्ष तथा जवाहर साह, सज्जन कुमार, पवन कुमार दास, शंभु दास, शत्रुध्न कुमार, भरत कुमार, सारो कुमार एवं संजय महतों को सदस्य बनाया गया है। ये सभी देश के विभिन्न शहरों में राजमिस्त्री, टाइलस मिस्त्री, मार्केटिंग का काम करते थे। लेकिन, लॉकडाउन में घर आने के बाद आर्थिक रूप से टूट चुके है। जिला प्रशासन सहयोग करती है तो कई डिजाइन के फेवर ब्लॉक निर्माण में इनके हुनर का उपयोग होगा और ये कभी बाहर नहीं जाएगें।

प्रवासी कामगारों के लिए उद्योग की श्रृंखला शुरू करवाने में लगे नागरिक कल्याण संस्थान के सचिव प्रो. संजय गौतम ने बताया कि जिलाधिकारी काफी सकारात्मक दिशा में प्रवासियों के लिए काम कर रहे हैं। फेवर ब्लॉक प्रवासियों के लिए एक ताकतवर उद्योग हो जाएगा। सैकड़ों प्रवासी ऐसे उद्योग से जुड़कर खुद के साथ-साथ पड़ोसियों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह उद्योग प्रधानमंत्री के सपनों का आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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