इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल के विस्तार के लिए सालों से अटका जमीन विवाद सुलझ गया है। बिजासन मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ‘बीच का रास्ता’ निकालते हुए सेंट्रल स्कूल के पास से मंदिर में जाने के लिए सडक़ बनाई जाएगी और बिजासन मंदिर के नीचे की 20 एकड़ से ज्यादा जमीन पर एयरपोर्ट प्रबंधन जल्द ही अपनी विस्तार योजनाएं शुरू कर सकेगा।
उल्लेखनीय है कि इंदौर एयरपोर्ट के विस्तार के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने प्रशासन से नए टर्मिनल के सामने बिजासन टेकरी के नीचे की 20.48 एकड़ जमीन की मांग की थी। पहले तो सालों तक इस जमीन पर उषाराजे ट्रस्ट और प्रशासन का विवाद था। बाद में कोर्ट से प्रशासन की जीत होने के बाद अक्टूबर 2018 में कैबिनेट ने इस जमीन को एयरपोर्ट प्रबंधन को देने की मंजूरी दी थी, लेकिन शर्त रखी थी कि इस जमीन से बिजासन मंदिर और आगे धार रोड की ओर रास्ता जाता है, इसलिए जब तक इसका वैकल्पिक मार्ग तैयार नहीं होता है, तब तक इस जमीन पर एयरपोर्ट को कब्जा नहीं दिया जाएगा।
इसके चलते सुपर कॉरिडोर का एक्सटेंशन बनाने की योजना तैयार की गई। करीब ढाई किलोमीटर का एक्सटेंशन तैयार किया गया। इसके बाद जब एयरपोर्ट प्रबंधन ने जमीन पर कब्जे की मांग की तो बिजासन मंदिर प्रबंधन और भक्तों ने कहा कि मौजूदा रास्ता बंद करने से बिजासन पर वाहन से जाने वाले लोगों को सुपर कॉरिडोर से घूमकर आना बहुत लंबा पड़ेगा, इसलिए यहीं से रास्ता दिया जाए। इसके कारण सालों से इस जमीन पर एयरपोर्ट को कब्जा नहीं मिल पा रहा था। कोई हल न निकल पाने के बाद अब विमानतल प्रबंधन और प्रशासन ने तय किया है कि सेंट्रल स्कूल के पास से एक सडक़ बिजासन टेकरी की चढ़ाई तक जाने के लिए बनाई जाएगी, जिससे बिजासन जाना आसान हो जाएगा। इस पर सभी पक्षों की सहमति भी बन गई है।
मल्टीलेवल कार पार्किंग सहित कई सुविधाएं विकसित होंगी
एयरपोर्ट को मिलने वाली इस जमीन पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने भविष्य की जरूरत को देखते हुए मल्टीलेवल कार पार्किंग सहित फूड जोन, शॉपिंग फैसिलिटी सहित अन्य योजनाएं तैयार की हैं। सडक़ बनने के साथ ही जमीन का विवाद हल होते ही एयरपोर्ट प्रबंधन मुख्यालय से योजनाओं पर मंजूरी लेने के साथ इन योजनाओं पर काम शुरू करेगा। इससे एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का रास्ता भी साफ हो जाएगा।
सालों पहले हल निकलता, बेवजह नहीं बनता कॉरिडोर एक्सटेंशन
सुमित्रा महाजन की आपत्ति के चलते सुपर कॉरिडोर के एक्सटेंशन को तैयार किया गया था। अगर यह रास्ता पहले ही निकाल लिया जाता तो बेवजह कॉरिडोर के एक्सटेंशन पर 50 करोड़ खर्च न करना पड़ते, न ही 7 सालों तक विस्तार रुका रहता।
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