- बिजली बिल को लेकर उपभोक्ता परेशान, एक दिन में सैकड़ों शिकायतें
इंदौर। कागज के बिजली बिल उपभोक्ताओं को कंपनी की ओर से देना बंद कर दिए गए हैं, लेकिन हजारों ऐसे उपभोक्ता हैं, जिनके मोबाइल नंबर बिजली कंपनी के पास अपेडट नहीं हैं। उनमें से कुछ को समय पर बिजली बिल का मैसेज नहीं पहुंच रहा है, जिसके कारण उपभोक्ता को पेनल्टी तो लगती ही है, बिल जमा नहीं होने पर बत्ती भी गुल हो जाती है। ज्यादा शिकायतों के चलते बिजली कंपनी जगह-जगह शिविर लगा रही है। कल शहर के दो झोन और ग्रामीण क्षेत्रों में 400 से ज्यादा शिकायतें मिलीं।
बिजली कंपनी ने जल्दबाजी में पेपरलेस (स्पाट) बिलिंग शुरू तो कर दी, लेकिन उपभोक्ताओं की दिक्कतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं।
कंपनी सभी उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर अपडेट नहीं कर पाई, जिसके कारण सभी उपभोक्ताओं को बिजली बिल मोबाइल पर नहीं मिल रहे हैं। इसके साथ ही अभी उपभोक्ताओं को भी मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से बिजली बिल मिलने व जमा करने की आदत नहीं हुई है। ऐसे में उपभोक्ता के यहां बिजली जमा नहीं होने पर उसको अधिभार के रूप में पेनल्टी लग जाती है और कंपनी के कर्मचारी बिल जमा नहीं होने पर कनेक्शन विच्छेद कर देते हैं। इंदौर जिले में उपभोक्ताओं की शिकायतों के निराकरण के लिए अलग -अलग जगह शुक्रवार को ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाए गए, जिनमें 400 शिकायतें बिल जमा नहीं होने व खंभे हटाने और नए कनेक्शन के बारे में मिलीं, जिसका निराकरण करने का दावा अधिकारियों द्वारा किया गया। इंदौर शहर में धार रोड ग्रीन पार्क कालोनी और सिरपुर झोन में दो जगह शिविर लगाए गए थे, जिनमें 40 शिकायतें मिली थीं।
मोबाइल नंबर को अपडेट करेंगे
बिजली बिल मोबाइल पर भेजे जा रहे हैं। जहां पर भी मोबाइल नंबर अपडेट नहीं हैं या जिन उपभोक्ताओं को मोबाइल पर बिल नहीं मिल रहा है, वे झोन से संपर्क कर बिल प्राप्त कर सकते हैं। इस महीने कंपनी क्षेत्र में चार सौ से ज्यादा स्थानों पर उपभोक्ता शिकायत निवारण शिविर लगाए जाएंगे, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। -अमित तोमर, एमडी
समय पर जमा नहीं करते बिल, छूट की अपेक्षा
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर उपभोक्ता समय पर बिजली बिल जमा नहीं करते। शिविर लगने के कारण उपभोक्ताओं की अपेक्षा यह रहती है कि उन्हें सरकार की ओर से छूट मिल रही है। ज्यादातर उपभोक्ता बिजली बिल में छूट का लाभ चाहते हैं। लगातार शिविर लगाकर समस्याओं को दूर किया जाएगा।
-डीएन शर्मा, ग्रामीण अधीक्षण यंत्री
