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दोनों टीकों को 2-8°C पर संग्रहित किया जा सकेगा : डीसीजीआई

नई दिल्ली । कई दिनों के इंतजार के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से रविवार को मंजूरी मिलने वाले दोनों टीकों को 2-8°C पर संग्रहित किया जा सकता है। डीसीजीआई ने ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दी है। सीरम और भारत बायोटेक के इन दोनों टीकों की दो खुराक लेनी होगी।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने रविवार को ऑक्सफोर्ड व सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को आपात व सीमित इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। डीसीजीआई डॉ. वीजी सोमानी ने प्रेस वार्ता में बताया कि केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था जिसमें वैक्सीन से संबंधित सभी विशेषज्ञों की टीम बनाई गई थी। इस कमेटी ने 1 और 2 जनवरी को आयोजित बैठक में ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के सभी डेटा का अध्ययन किया। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद कमेटी ने इन दोनों वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की सिफारिश की। सीरम और भारत बायोटेक टीके की दो खुराक लेनी होगी। दोनों टीकों को 2-8°C पर संग्रहित किया जा सकता है।

कोविशील्ड 70.42 प्रतिशत तक प्रभावी
उन्होंने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे ने एस्ट्राज़ेनेका व ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने 18 साल से अधिक के 23,745 प्रतिभागियों पर नैदानिक सुरक्षा, इम्युनोजेनेसिटी और टीके के प्रभाव का डेटा दिया। डेटा में यह टीका 70.42% तक प्रभावी पाया गया। इसके अलावा सीरम ने भारत में 1600 प्रतिभागियों पर चरण-दो और तीन का क्लीनिकल ट्रायल किया। इस परीक्षण के नतीजों में यह टीका सुरक्षित और बीमारी के खिलाफ प्रभावी पाया गया। इसके साथ विदेश में किए गए नैदानिक अध्ययनों के डेटा की समीक्षा की गई। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद विषय विशेषज्ञ समिति ने कुछ विनियामक शर्तों के साथ इसके आपात इस्तेमाल की अनुमति देने की सिफारिश की है।

22,500 लोगों में किया गया परीक्षण
वी जी सोमानी ने बताया कि भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) के सहयोग से कोरोना वायरस वैक्सीन (कोवाक्सिन) विकसित किया है। यह टीका वेरो सेल प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है, जिसने देश और दुनिया भर में सुरक्षा और प्रभावकारी ट्रैक रिकॉर्ड को अच्छी तरह से स्थापित किया है। फर्म ने विभिन्न जानवरों की प्रजातियों जैसे चूहों, चूहों, खरगोशों, सीरियाई हम्सटर में वैक्सीन की सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी डेटा सामने रखा। इसके साथ फेज तीन के तहत भारत में 25,800 स्वयंसेवकों में क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया था और अब तक 22,500 प्रतिभागियों को देश भर में टीका लगाया गया है। अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार यह टीका सुरक्षित पाया गया है।

एनकोव को तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी
एनकोव वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को भी मंजूरी दी गई है जिसे कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने डीएनए प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया है। फर्म ने 1000 से अधिक प्रतिभागियों में भारत में चरण- I / II नैदानिक परीक्षण शुरू किया। अंतरिम आंकड़ों से पता चलता है कि यह टीका तीन खुराक के साथ सुरक्षित और प्रतिरक्षात्मक है। फर्म ने 26 हजार भारतीय प्रतिभागियों में चरण-III के लिए क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति मांगी थी जिसे विषय विशेषज्ञ समिति ने मंजूरी दी है।

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