विदेश

ब्रिटेन को महंगा पड़ सकता है कोरोना प्रतिबंध हटाने का दांव

लंदन। विशेषज्ञों की तमाम चेतावनियों के बावजूद ब्रिटिश सरकार(British Government) कोरोना महामारी(Corona Pandemic) संबंधी तमाम प्रतिबंधों को सोमवार से हटाने के अपने फैसले पर अड़ी रही। इस तरह कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के बढ़ रहे मामलों के बीच देश में ‘सामान्य स्थिति’ बहाल कर दी गई है। सरकार का कहना है कि ब्रिटेन (Britain) की ज्यादातर बालिग आबादी का टीकाकरण(Vaccination) हो चुका है। इसलिए प्रतिबंधों को हटाने का ये सही समय है। जबकि आलोचकों का कहना है कि टीका(Vaccine) ले चुके लोग संक्रमित नहीं होंगे, ये भरोसा अब कई देशों के अनुभव से टूट रहा है।
ब्रिटिश सरकार के ताजा फैसला से वेल्स, स्कॉटलैंड, और नॉर्दर्न आयरलैंड की प्रांतीय सरकारें सहमत नहीं हुई हैं। उन्होंने अपने यहां प्रतिबंधों को जारी रखने का फैसला किया है। इसका मतलब हुआ कि बोरिस जॉनसन सरकार (boris johnson government) का फैसला सिर्फ इंग्लैंड पर लागू होगा। इंग्लैंड ब्रिटेन का सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादी वाला हिस्सा है। वहां अब मास्क पहनने की अनिवार्यता और लोगों के इकट्ठा होने पर सीमा हटा ली गई है। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम अब सिर्फ कोरोना पॉजिटिव लोगों के मामले में ही लागू होंगे। साथ ही हवाई अड्डों पर इन नियमों का पहले की तरह पालन होता होगा।



जानकारों का कहना है कि जॉनसन सरकार(johnson government) के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा होटल और पर्यटन उद्योग को होगा। लेकिन इस उद्योग से जुड़े लोगों ने भी ताजा फैसले का सतर्क रुख के साथ ही स्वागत किया है। होटल और पर्यटन उद्योग के संघ यूके हॉस्पिटैलिटी के कार्यकारी निदेशक केट निकोल्स ने एक इंटरव्‍यू में कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े कारोबारी अपनी तरफ से सावधानी बरतना जारी रखेंगे। इस उद्योग से जुड़े लोगों में ये आशंका आम है कि लोगों के बड़े पैमाने पर बेखौफ मिलने-जुलने से संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन के कारण कोरोना संक्रमण की स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं होती, ये बात लगभग सभी देशों के अनुभव से साबित हुई है। लेकिन वैक्सीन संक्रमण रोकने में सक्षम हैं, इस बारे में अभी डेटा का अभाव है। फिर यह भी नहीं मालूम है कि वैक्सीन के कारण लॉन्ग कोविड (कोरोना संक्रमण के लंबे समय तक टिकने वाले लक्षण) से कितना बचाव होता है। ब्रिटेन में अभी दस लाख से ज्यादा लोग लॉन्ग कोविड की समस्या से जूझ रहे हैँ।
विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन से बेअसर रहने वाले कोरोना वायरस वैरिएंट का सामने आ जाना बोरिस जॉनसन के ताजा इरादे के सामने सबसे बड़ी समस्या है। शुरुआती दिनों में भ्रामक रुख अपनाने के बाद जॉनसन सरकार ने टीकाकरण पर काफी ध्यान दिया। ब्रिटेन में तेज गति से हुए टीकाकरण को जॉनसन सरकार की एक बड़ी सफलता माना गया है। लेकिन अब अगर उसके ताजा फैसले से एक बार फिर संक्रमण के मामले बढ़े, तो उसका ठीकरा सरकार के माथे ही फोड़ा जाएगा।
सरकार के इस फैसले से कई दूसरी सामाजिक समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स में सामाजिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर जॉन ड्रुरी ने सीएनएन से कहा- ‘कुछ लोग मास्क पहनना जारी रखेंगे और दूसरों से दूरी बनाए रखेंगे। जो लोग ऐसा नहीं करेंगे, वे दूसरे समूह को स्वार्थी समझ सकते हैं। इससे कई स्तरों पर टकराव खड़ा हो सकता है।’ पर्यवेक्षकों ने कहा है कि ब्रिटेन अभी कोरोना संक्रमण के असर से मुक्त नहीं हुआ है, इसकी सबसे बड़ी मिसाल यही है कि पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद खुद पॉजिटिव पाए गए। उनके संपर्क में आने के कारण प्रधानमंत्री को खुद को आइसोलेट करने की सलाह दी गई। इसीलिए ये समझा जा रहा है कि प्रतिबंधों को हटाने का फैसला लेकर बोरिस जॉनसन ने एक बड़ा दांव खेला है, जो उनके साथ-साथ पूरे देश को बहुत महंगा पड़ सकता है।

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