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Budget 2023: संसद के बजट सत्र में हंगामे के आसार, सरकार ने आज बुलाई सर्वदलीय बैठक

नई दिल्ली (New Delhi) । संसद (Parliament) के बजट सत्र के भी हंगामेदार (ruckus) रहने के आसार हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने विभिन्न मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की तरफ से बुलाई गई यह बैठक संसदीय भवन ग्रंथालय (Parliament House Library) में होगी। बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) संयुक्त सत्र में अभिभाषण देंगी। जबकि एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। इसके बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होगी जिसके दौरान विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी, चीनी घुसपैठ, अर्थव्यवस्था, सेंसरशिप सहित कई मुद्दों पर सरकारी की घेराबंद कर सकता है।


सूत्रों के अनुसार कांग्रेस चीन (China) के मुद्दे पर चर्चा की मांग को अभी भी कायम रखे हुए है। वहीं तृणमूल कांग्रेस, वामदलों, आरएसपी सहित कई विपक्षी दलों ने संसद सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों, केंद्र-राज्य संबंध आदि पर सरकार को घेरने का इरादा जताया है। तृणमूल कांग्रेस ने सत्र के दौरान केंद्र राज्य संबंध, बीबीसी के विवादास्पद वृतचित्र की पृष्ठभूमि में सेंसरशिप का मुद्दा उठाने पर जोर दिया है।

बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र के दौरान 27 बैठक होंगी। राष्ट्रपति का अभिभाषण पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में होगा

पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति का संयुक्त अभिभाषण नए संसद भवन में होगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हालांकि सभी कयासों पर विराम लगाते हुए कहा कि नए संसद भवन का कार्य अभी जारी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राष्ट्रपति का अभिभाषण पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में ही होगा।

कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं
संसद के बजट सत्र के पहले चरण में विधेयकों पर चर्चा और पारित किये जाने की संभावना कम है। हालांकि सत्र के दूसरे चरण में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं। लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन से प्राप्त जानकारी के अनुसार 17वीं लोकसभा के दसवें सत्र के अंत में नौ सरकारी विधेयक लंबित थे जबकि राज्य सभा में दो सौ अठावनवें सत्र (2022) के अंत में 26 विधेयक लंबित थे।

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