भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

कुल्हड़ की चाय और नर्मदा का पानी बन कर, तुम मिलो मुझे जबलपुर की कहानी बन कर

‘और बड्डे का हो रओ… अरे कच्छु नई, तनक गुरंदी से आ रय’।

आप बी खां सोच रय होंगे के ये सूरमा को क्या हो गिया हेगा। एकदम से भोपाली लहजा छोड़ के बुंदेली मिक्स जबलपुरी अंदाज़ में गुफ्तगू क्यो हो रही है। दरअसल आपको एक खुशखबरी देनी है साब। गोया के आपका अपना अग्निबाण एकदम नई स्टाइल में जबलपुर में नुमायां हो रहा है। अग्निबाण का नया और झकास टाइप का दफ्तर अब इस संस्कारधानी के दिल सिविक सेंटर में शिफ्ट हो गया है। जिस तरह भोपाल में सभी अखबारों के दफ्तर प्रेस काम्पलेक्स में हैं, उसी तरह जबलपुर मे भी सारे अखबार सिविक सेंटर से शाया होते हैं। भोत सीनियर सहाफी (पत्रकार) मदन अवस्थी साब अग्निबाण जबलपुर के रेजिड़ेंट एडिटर हो गए हैं। मुक़द्दस दरियाए नर्मदा की जानीमानी हस्ती अभिषेक जैन लालू भाई अखबार का मुकम्मल मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। अखबार का फलसफा ये है साब के ईमानदार को छेड़ो मत और बेईमान को छोड़ो मत। दिलो जान के साथ वहां स्टाफ ने काम की इब्तिदा कर दी है। मदन अवस्थी वो सहाफी (पत्रकार) हैं जो जबलपुर के मिजाज़, रिवायतों और किरदार को बखूबी जानते हैं। उनका शहर की नब्ज पे हाथ है। मदन भाई ने 38 बरस सहाफत में गुजार दिए। कई बड़े अखबारों में इंन्ने अपना हुनर दिखाया।



अग्निबाण जबलपुर की नई टीम भी इन्होंने उम्दा जुटाई है। वैसे खां भाई मियां जबलपुर और भोपाल के नाज़ों अंदाज़ भोत कुछ मिलते जुलते हैं। ये दोनों शहर तालाबों और पहाड़ों से घिरे हैं। फारसी लफ्ज़ जबल के मायने भी पहाड़ के हैं। दोनो ही शहरों में कमिटेड सहाफत और अदब (साहित्य) का ऐहतराम होता है। साठ और सत्तर की दहाई के सहाफी (पत्रकार) मरहूम श्याम कटारे, प्रकाश राय, सौमित्र जी, राजेंद्र अग्रवाल की रिवायत यहां आज भी महसूस की जाती। ओरीजनल जबलपुरी में कोई लाग लपेट नहीं होती। वो बहुत मुहब्बती किस्म का होता है। जिस तरह आपसी गुफ्तगू में सामने वाले को इज़्ज़त देने के लिए भोपाल में को खां… कहा जाता है, उसी अंदाज में जबलपुर में लोग एक दूसरे को काय बड्डे कहते हैं। बकौल मदन अवस्थी हम अखबार का जबलपुरी कैरेक्टर कायम रखेंगे। 12 पेज के रंगीन अखबार में हर रोज़ शहर के किसी बड़े मुद्दे को उठाया जाएगा। जबलपुर अग्निबाण के एडिटर की जि़म्मेदारी भोपाल अग्निबाण के एडिटर जनाब रविन्द्र जैन साब के पास है। चंद रोज़ पेले जैन साब जबलपुर गए और अग्निबाण भोपाल के पबंधक संजीव पाराशर के साथ जबलपुर अग्निबाण के नए सेटअप को देखा। टीम जबलपुर को सूरमा की दिली मुबारक बाद। आखिर में ये शेर पेशे खि़दमत है – हक़ीक़त में न सही तसव्वुर में आओ, कभी तो हमारे जबलपुर में आओ।

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