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कैट ने मेट्रो कैश एंड कैरी पर एफडीआई नियमों के उल्लंघन का लगाया आरोप

-जर्मन कंपनी मेट्रो ने कैट के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया

नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने जर्मन कंपनी कैश एंड कैरी (German company Cash & Carry) पर भारत (India) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) (Foreign Direct Investment (FDI) Rules) नियमों के उल्लंघन (Violations) और कानून को दरकिनार करने का आरोप लगाया है। कारोबारी संगठन कैट ने कैश एंड कैरी की भारतीय इकाई मेट्रो कैश एंड कैरी की देश में व्यापारिक प्रथाओं को लेकर भी गंभीर आपत्ति जताई है। हालांकि, जर्मन कंपनी ने इस तरह के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है।


कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि विदेशी कंपनियों का भारत में व्यापार करने के लिए स्वागत है लेकिन यहां के कानूनों और नियमों का कड़ाई से अनुपालन करना भी जरूरी है। मेट्रो को अगाह करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारी कानूनों के उल्लंघन के जरिए अपने व्यवसाय पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण स्वीकार नहीं करेंगे।

खंडेलवाल ने कहा कि जर्मनी की कंपनी मेट्रो द्वारा कानून के उल्लंघन के कारण छोटे कारोबारियों के व्यवसाय विशेष तौर पर किराना, एफएमसीजी सामान, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं, व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कैट महामंत्री ने कहा कि कारोबारियों ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से इस मामले को तत्काल संज्ञान लेने और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि मेट्रो बी2सी रिटेल ट्रेड या मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में शामिल होकर एफडीआई नीति के प्रावधानों का खुले तौर पर उल्लंघन कर रही है। कंपनी ग्राहकों को उनके व्यक्तिगत उपभोग का सामान सीधे बेच रही है, जो विदेशी संस्थाओं के लिए स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया कि मेट्रो सदस्यता कार्ड या ऐड-ऑन सदस्यता कार्ड जारी करने और अपने स्टोर पर वॉक-इन ग्राहकों को दैनिक प्रवेश पास जारी करने के लिए जीएसटी पंजीकरण के धोखाधड़ी के उपयोग कर मेट्रो एफडीआई नीति का उल्लंघन कर रहा है। सही मायने में मेट्रो ने थोक या बी2बी व्यापार का बहाना बनाकर मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग में शामिल होने के लिए पिछले दरवाजे का एक चैनल बनाया है।

कैट महामंत्री ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जर्मन कंपनी मेट्रो भारत के कारोबार को बेचने और यहां अपने निवेश पर 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाने की सोच रही है। यह पिछले वर्षों में भारत में भारी मुनाफा कमाने के बाद धन को इधर-उधर करने के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि हमने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से शिकायत की है, जो मामले की जांच कर रहा है। जांच के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि उल्लंघन बड़े पैमाने पर और स्पष्ट हैं। हमें विश्वास है कि ईडी जल्द ही अपनी जांच पूरी करेगा और मेट्रो इंडिया पर कम से कम 12 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएगा।

हालांकि, कंपनी ने इस तरह के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है। बता दें कि मेट्रो एजी ने साल 2003 में भारतीय बाजार में प्रवेश किया था। अब कंपनी अपनी भारतीय अनुषंगी कंपनी में कथित तौर पर बहुमत हिस्सेदारी बेचने के लिए एक भागीदार की तलाश कर रही है। जर्मनी की कंपनी मेट्रो कैश एंड कैरी वर्तमान में देश में मेट्रो होलसेल ब्रांड के तहत 31 स्टोर का संचालन कर रही है। (एजेंसी, हि.स.)

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