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CAIT ने केंद्र सरकार से चीनी कम्पनी हुवावे और जेडटीई पर भारत में प्रतिबन्ध लगाने की मांग की

रायपुर । कन्फेडरेशन ऑफ आल इंड़िया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानीने बताया कि कन्फेडरेशन ओफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) ने आज केंद्रीय संचार और प्रोध्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र भेजकर भारत में 5जी नेटवर्क रोल आउट मे चीनी कम्पनी हुवावे और जेडटीई कॉर्पोरेशन के भाग लेने पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की अपनी माँग को जोरदार तरीके से उठाते हुए कहा की देश की सुरक्षा, संप्रभुता और डाटा सुरक्षा के लिए यह प्रतिबन्ध बेहद आवश्यक है।

कैट ने यह माँग चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के गत 10 जून को घोषित अपने राष्ट्रीय अभियान ‘ भारतीय सामान – हमारा अभिमान ‘ के अंतर्गत करते हुए कहा की 5जी नेट्वर्क विस्तार की सक्षमता और महत्वपूर्ण टेक्नॉलजी के उपयोग के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए इस प्रकार का प्रतिबन्ध बेहद जरूरी है ।

केंद्रीय मंत्री प्रसाद को भेजे गए पत्र में कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पारवानी ने कहा की चीन के हुवावे एवं जेडटीई कॉर्पाेरेशन को भारत में 5जी नेटवर्क रोलआउट में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही सरकार यह भी प्रतिबन्ध लगाए की इन दोनों चीनी कम्पनियों की प्रौद्योगिकी और उनके उपकरणों को किसी भी कंपनी द्वारा 5जी नेटवर्क रोलआउट में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

पारवानी ने कहा की यह पता चला है कि हुवावे और जेडटीई दोनों चीनी कंपनियों ने भारत में रोल आउट किए जाने के लिए 5जी नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में भाग लेने के लिए आवेदन किया है। जून के महीने में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का हवाला देते हुए कैट ने कहा की यदि चीनी कम्पनियों को यह अनुमति दी जाती है तो वे निश्चित रूप से 5जी नेटवर्क के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने के अवसर को हड़पने का एक मौका होगा और भारतीय दूर संचार पर चीनी कम्पनियों का लगभग कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त करेगा जबकि प्रतिबंध लगने की स्तिथि में भारतीय कम्पनियों को अपनी टेक्नॉलजी को उचित स्तरीय करने का अवसर मिलेगा जो देश के निर्यात और आयात में सुधार के लिए काफी हद तक फायदेमंद होगा वहीं दूसरी ओर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को सफल बनाने का एक बेहद बड़ा मौका होगा।

पारवानी ने कहा की केंद्र सरकार ने कैट की मांग और अन्य घटनाओं के चलते हाल ही में समय रहते अनेक जरूरी कदम उठाए जिसके कारण भारत में चीनी टेक्नॉलजी के इस्तेमाल पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकेगी । इस संदर्भ में सरकार ने जून में 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही के एक महीने से भी कम समय के भीतर ऐसी 47 चीनी ऐप्स पर अलग से प्रतिबंध लगाया जो प्रतिबंधित 59 चीनी ऐप्स के क्लोन के रूप में काम कर रही थीं। मीडिया रिपोर्टों से यह भी पता चला है कि भारत ने 250 से अधिक चीनी ऐप की एक सूची भी तैयार की है, जिसमें अलीबाबा से जुड़े ऐप भी शामिल हैं जिनको सरकार किसी भी उपयोगकर्ता की गोपनीयता या राष्ट्रीय सुरक्षा उल्लंघनों की दृष्टि से जांच करेगी। इस सूची मे चीनी कम्पनी टेनसेंट प्रायोजित गेमिंग ऐप पबजी भी शामिल है।

पारवानी ने कहा की बड़ी आशंका है कि हुवावे अपनी तकनीक प्रणाली में एक निगरानी तंत्र विकसित कर सकती है जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की सूचना अथवा डाटा पर निगरानी हो सकेगी । यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का चीन पर से तेजी से अविश्वास बढ़ता जा रहा है जिसमें खास तौर पर चीन द्वारा अपने सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सिस्टम के द्वारा डाटा अथवा अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं तक आसान पहुँच सहित हाल ही की कोरोना महामारी और भारत की सीमाओं पर युद्ध जैसी स्तिथि से चिंता बढ़ना स्वाभाविक है ।

कैट ने कहा की रेलवे, राजमार्ग, मेट्रो परियोजनाओं सहित आदि विभिन्न क्षेत्रों में चीनी कंपनियों के साथ अनुबंधों को रद्द करने के लिए सरकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण लेकिन मजबूत कदम निश्चित रूप से भारत के लोगों की चीन के प्रति भावनाओं के उबाल का सम्मान है । इसी तर्ज पर कैट ने मंत्री रविशंकर प्रसाद से भारत में 5जी नेटवर्क रोलआउट में भाग लेने के लिए हुवावे और जेडटीई कारपोरेशन को अनुमति न देने की मांग की है। 5जी मोबाइल नेटवर्क को सुपर-फास्ट डाउनलोड गति और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की क्षमता विकसित करता है और इसलिए डेटा एकत्रित करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है और इन परिस्थितियों में इन दोनों चीनी कंपनियों पर प्रतिबन्ध लगाया जाना बेहद जरूरी है ।

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