विदेश

कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों को चुकाना होगा ज्‍यादा टैक्‍स, जी-20 के मंच पर लगी मुहर

वाशिंगटन। जी-20 के मंच (G20 forum) पर भी पर्यावरण सुरक्षा (environmental protection) पर चर्चा हुई है। दुनिया के प्रमुख 20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक(Finance ministers of G-20 countries meeting) में कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली नीतियों (policies to reduce carbon emissions) को व्यवहार में लाने पर विचार किया गया। साथ ही ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों पर कर लगाने पर भी सहमति जताई गई।
जी-20 के रुख में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। यह बदलाव अमेरिका में राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप का शासन खत्म होने के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने मौसम में हो रहे बदलावों और पृथ्वी पर बढ़ रहे तापमान को वैश्विक खतरा मानने से इन्कार कर दिया था। इसी के चलते ट्रंप करीब 200 देशों द्वारा स्वीकृत पर्यावरण सुधार के पेरिस समझौते से अलग हो गए थे।



जी-20 के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की बैठक के बाद विचार किए गए मसलों के बारे में बताया गया। इटली के वेनिस शहर में हुई इस बैठक में पृथ्वी का तापमान बढ़ने, ग्लेशियर पिघलने और समुद्रों का जलस्तर बढ़ने पर चर्चा की गई। कहा गया कि कार्बन उत्सर्जन को कम कर हम इन समस्याओं की गति धीमी कर सकते हैं।
पर्यावरण सुधार के लिए अब ऐसी तकनीकों को विकसित किए जाने की जरूरत है जो कार्बन उत्सर्जन कम करें और प्रदूषण रहित ऊर्जा का विकास करें। प्रदूषण नियंत्रण के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी और कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इस ईंधन को धीरे-धीरे चलन से बाहर करने की रूपरेखा तैयार करने का निर्णय लिया गया। इस मामले में गरीबों की मदद करने का भी फैसला किया गया।
इससे पहले यूरोपीय यूनियन कार्बन एडजस्टमेंट बॉर्डर टैक्स लगाने के मसौदे पर विचार कर चुका है। यह टैक्स ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों के माल पर लगेगा। अब जी-20 देश कुछ वैसी ही बात कर रहे हैं। ये देश भी कार्बन प्राइसिंग की बात कर रहे हैं। फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ली मायरे ने संवाददाताओं से कहा, हम इन दो शब्दों को लेकर बहुत दृढ़ हैं। हम इन पर आगे बढ़ेंगे।

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