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जाति आधारित जनगणना: रोहिणी आयोग की रिपोर्ट का इंतजार, फिलहाल देखो और इंतजार करो की नीति

 

नई दिल्ली। हाल ही में ओबीसी (OBC) हितों से जुड़े दो अहम निर्णय कर चुकी मोदी सरकार जाति जनगणना (caste census) को मंजूरी दे सकती है। कोरोना (Corona) के कारण अब तक राष्ट्रीय जनगणना प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है, इसलिए सरकार जातीय जनगणना पर हड़बड़ी नहीं दिखा रही। सरकार इस मुद्दे पर फिलहाल देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रही है। इस संबंध में सरकार को रोहिणी आयोग (Rohini Commission) की रिपोर्ट का भी इंतजार है।

दरअसल इस मुद्दे पर कई विपक्षी दलों तथा सरकार के घटक दलों का रुख भी मुखर है। जदयू (JDU), अपना दल, आरपीआई (RPI) जैसे दल लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar), राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) सहित राज्य के कई दलों के नेता सोमवार को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं।

नीतीश के दांव से बढ़ी हलचल
इस मुद्दे पर नीतीश सर्वाधिक मुखर हैं। राज्य विधानसभा ने दो बार जातीय जनगणना के समर्थन में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया है। नीतीश ने राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना नहीं होने पर बिहार में अलग से जातीय जनगणना कराने की घोषणा की है। बिहार जातीय रूप से सर्वाधिक संवेदनशील राज्य है।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नब्बे के दशक में मंडल बनाम कमंडल राजनीति में जहां उत्तर प्रदेश में कमंडल की राजनीति मंडल पर हावी हुई थी, वहीं बिहार में लालू प्रसाद यादव अजेय नेता के रूप में उभरे थे। ऐसे में अगर जातीय जनगणना से सरकार ने दूरी बनाई, तो बिहार में भाजपा को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही कारण है कि नीतीश के दांव से इस मामले में हलचल बढ़ी है।


हड़बड़ी में क्यों नहीं
इस मसले पर केंद्र सरकार में विमर्श का दौर तो शुरू हुआ है मगर वह जल्दबाजी में नहीं है। कोरोना के कारण टल रहे जनगणना कार्य का पहला चरण अब अगले साल ही शुरू होने की उम्मीद है। वहीं इसका दूसरा चरण 2023 में शुरू होगा, जिसमें जनगणना, भाषा, साक्षरता, पलायन जैसे विषय शामिल होंगे।

जाहिर तौर पर ऐसे में जनगणना का मूल कार्य 2023 से शुरू हो कर 2024 के लोकसभा चुनाव तक चलेगा। इसलिए सरकार जातीय जनगणना के सवाल पर जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है।

क्या है रोहिणी आयोग
ओबीसी आरक्षण को संतुलित करने के लिए सरकार ने रोहिणी आयोग गठित की है, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है। आयोग को कई बार विस्तार मिल चुका है। उम्मीद जताई जा रही है आयोग इस साल के अंत तक अपनी रिपोर्ट दे देगा।

रिपोर्ट आने पर सियासी हलचल तेज होने के आसार हैं। इस समय 2,700 जातियां ओबीसी में शामिल हैं। इनमें से 1700 जातियां अब भी आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। एक अनुमान के मुताबिक ओबीसी में शामिल करीब तीन दर्जन जातियां आरक्षण का 70 फीसदी लाभ हासिल कर रही हैं।

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