नई दिल्ली: वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को केंद्र का अंतरिम बजट संसद में पेश कर दिया. बजट भाषण के दौरान उन्‍होंने महिलाओं के लिए कई अहम घोषणाएं कीं. उन्‍होंने इस दौरान लखपति दीदी योजना का जिक्र भी किया. उन्‍होंने कहा कि अब तक एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बना दिया गया है. साथ ही कहा कि अब 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्‍य तय किया गया है. बता दें कि पहले 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लख्‍य तय किया गया था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि लखपति दीदी योजना क्‍या है? लखपति दीदी किन महिलाओं को कहा जाता है? इस योजना का फायदा कैसे लिया जा सकता है?

सरकार ने लखपति दीदी योजना के जरिये स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने की पहल की. इसके तहत सरकार पात्र महिलाओं को स्‍वरोजगार शुरू करने के लिए 1-5 लाख रुपये तक की ब्‍याजमुक्‍त आर्थिक सहायता करती है. सरकार का मकसद इस योजना के जरिये महिलाओं को रोजगार से जोड़ना, उनके जीवनस्‍तर को बेहतर बनाना, आमदनी में बढ़ोतरी करना, आत्‍मनिर्भर व सशक्‍त बनाना है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो सरकार ने आर्थिक रूप से वंचित महिलाओं को आगे लाने के लिए लखपति दीदी योजना शुरू की थी.

महिलाओं की आर्थिक स्थिति हो रही है बेहतर
लखपति दीदी योजना की मदद से स्‍वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अपना उद्योग शुरू करके ना सिर्फ अपनी बल्कि दूसरी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में भी सुधार ला रही हैं. देश में इस समय करीब 83,00,000 स्वयं सहायता समूह हैं. इनसे 9 करोड़ से ज्‍यादा महिलाएं जुड़ी हैं. सरकार ने इन्हीं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए लखपति दीदी योजना शुरू की थी. सरकार का दावा है कि योजना के जरिये अब तक 1 करोड़ महिलाओं को फायदा मिल चुका है.

किसे कहा जाता है लखपति दीदी
लखपति दीदी स्‍वयं सहायता समूहों से जुड़ी उन महिलाओं को कहा जाता है, जिनकी प्रति परिवार सालाना आमदनी 1 लाख रुपये या इससे ज्‍यादा पर पहुंच गई है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है. उन्‍होंने देश के 77वें स्‍वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से इस योजना का ऐलान किया था. सरकार योजना के तहत महिलाओं को कई सहूलियतें देती है. इनमें वित्‍तीय और कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है. प्रशिक्षित महिलाएं अपनी आय बढ़ाकर लखपति बन रही हैं. योजना के तहत महिला स्‍वयं सहायता समूहों को एलईडी बल्ब बनाने से लेकर प्लंबिंग, ड्रोन रिपेयरिंग जैसे तकनीकी काम सिखाए जाते हैं. इससे उन्‍हें अपनी आमदनी बढ़ाने में पूरी मदद मिलती है.


योजना के तहत मिलते हैं कई तरह के लाभ
सरकार योजना के तहत महिलाओं को कई तरह के कौशल प्रशिक्षण मुहैया कराती है. साथ ही उनकी वित्‍तीय समझ बढ़ाने के लिए कार्यशालाएं आयोतित की जाती हैं. इसके अलावा उन्‍हें बचत विकल्‍प, छोटे कर्ज, वोकेशनल ट्रेनिंग, एंटरप्रेन्योरशिप सपोर्ट और बीमा कवरेज का फायदा मिलता है. सरकार उन्हें बेहतर मार्केट सपोर्ट भी उपलब्ध कराती है. बता दें कि लखपति दीदी योजना का फायदा लेने के लिए महिलाओं का किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना अनिवार्य है.

योजना के लिए कैसे चुनी जाती हैं महिलाएं
योजना के तहत स्‍वयं सहायता समूहों से जुड़ी उन महिलाओं को चुना जाता है, जिनकी सालाना आमदनी बेहद कम होती है. इसके बाद उन्‍हें 1-5 लाख रुपये तक का ब्‍याजमुक्‍त कर्ज दिया जाता है. यही नहीं, लखपति दीदी योजना के जरिये उत्पादों को बाजार की मांग के मुताबिक बनाने के लिए समूह को तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही विभागीय आउटलेट्स और समूहों के अलग-अलग जगहों पर लगने वाले मेलों में उनके उत्‍पादों के बिक्री सुनिश्चित की जाती है ताकि उनकी सालाना आय 1 लाख रुपये या इसे ज्‍यादा की जा सके.

आवेदन के लिए क्‍या जरूरी दस्‍तावेज चाहिए
लखपति दीदी योजना के तहत ओवदन के लिए कुछ दस्‍तावेज होने जरूरी हैं. इनमें आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और बैंक खाता विवरण उपलब्‍ध कराना जरूरी होता है. इसके अलावा आपको अपना मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो भी उपलब्‍श कराने होंगे. योजना का फायदा लेने के लिए स्‍वयं सहायता समूह से जुड़ी कोई भी पात्र महिला ऑनलाइन आवेदन भी कर सकती है. वहीं, एक फिजिकल फार्म भरकर भी लखपति दीदी योजना का फायदा लिया जा सकता है. लखपति दीदी योजना के तहत आवेदन के लिए भारत की नागरिक होना जरूरी है. वहीं, इसकी आयु सीमा 18 से 50 वर्ष रखी गई है.

कैसे करें ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन
ऑनलाइन आवेदन के लिए भारत सरकार के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर लखपति दीदी योजना टैब पर क्लिक करें. फिर ऑनलाइन आवेदन करें पर क्लिक करके मांगी गई जानकारी भरें. इसके बाद आवेदन को जमा कर दें. वहीं, ऑफलाइन आवेदन के लिए अपने क्षेत्र के संबंधित कार्यालय जाकर आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता पासबुक और स्वयं सहायता समूह का सदस्यता प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्‍तावेज लगाकर आवेदन फार्म जमा कर दें. बता दें कि अगर महिला की सालाना आमदनी 3 लाख रुपये से ज्‍यादा है तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

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आरएसएस से जुड़े संजय वाराणसी के रहने वाले हैं और बृजभूषण के बहुत करीबी सहयोगी हैं। निवर्तमान प्रमुख की खेल में जबरदस्त रुचि को देखते हुए यह उम्मीद है कि संजय नीतिगत निर्णयों में उनसे सलाह लेंगे। संजय ने चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह देश के हजारों पहलवानों की जीत है जिन्हें पिछले सात से आठ महीनों में नुकसान उठाना पड़ा है। महासंघ के अंदर चल रही राजनीति के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा, हम राजनीति का जवाब राजनीति और कुश्ती का जवाब कुश्ती से देंगे। अनिता का पैनल हालांकि महासचिव पद अपने नाम करने में सफल रहा जब प्रेम चंद लोचब ने दर्शन लाल को हराया। रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने 27-19 से जीत दर्ज की। राष्ट्रीय राजमार्ग पर ‘फूड ज्वाइंट्स की चेन’ चलाने वाले और प्रदर्शनकारी पहलवानों के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र सिंह कादियान ने आईडी नानावटी को 32-15 से हराकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।


चुनावों के नतीजे शीर्ष पहलवानों बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के लिए निराशाजनक हैं क्योंकि बृजभूषण के खिलाफ उनका विरोध-प्रदर्शन व्यर्थ हो गया। इन्होंने डब्ल्यूएफआई में बदलाव के लिए आक्रामक होकर अभियान चलाया था लेकिन उन्हें कुश्ती जगत का समर्थन नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण का एक करीबी अब अध्यक्ष है। इन शीर्ष पहलवानों ने बृजभूषण पर कथित रूप से जूनियर पहलवानों सहित महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था और समाज के विभिन्न वर्गों से भारी समर्थन जुटाने में कामयाब रहे। इनका विरोध हालांकि उस दिन विफल हो गया जब उन्होंने 28 मई को नए संसद भवन की ओर मार्च करने की योजना बनाई और दिल्ली पुलिस ने दंगा करने के लिए सभी प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर से हटा दिया।

पहलवानों ने आधिकारिक तौर पर सात जून को अपना विरोध बंद कर दिया था जब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य या करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई चुनाव में उतरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नई कार्यकारी परिषद के चुनाव से डब्ल्यूएफआई पर लगे वैश्विक संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के प्रतिबंध को हटाने का भी रास्ता साफ हो जाएगा।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे भारतीय पहलवानों को 2023 विश्व चैंपियनशिप में तटस्थ खिलाड़ियों के रूप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। चुनाव प्रक्रिया जुलाई में शुरू हो गई थी लेकिन अदालत में विभिन्न मामलों के कारण इसमें देरी हुई। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को रद्द कर दिया जिससे डब्ल्यूएफआई की नई संचालन संस्था के चुनाव की प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त हो गया।

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