नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन (Former Chief Justice KG Balakrishnan) की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है। यह आयोग उन लोगों को अनुसूचित जाति (scheduled caste-SC) का दर्जा देने पर विचार करेगा, जिनका ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति से ताल्लुक है लेकिन उन्होंने दूसरा धर्म अपना लिया है। संविधान में कहा गया है कि हिंदू या सिख धर्म या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, तीन सदस्यीय आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. रविंदर कुमार जैन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव भी शामिल हैं। आयोग यह भी तय करेगा कि अगर उन्हें एससी का दर्जा दिया जाता है तो मौजूदा अनुसूचित जातियों पर इसका क्या असर पड़ेगा।
साथ ही यह भी देखा जाएगा कि इन लोगों के अन्य धर्मों में परिवर्तित होने के बाद, रीति-रिवाजों, परंपराओं और सामाजिक भेदभाव और अभाव की स्थिति में कैसा बदलाव आया। आयोग किसी भी अन्य संबंधित प्रश्नों पर भी मंथन कर सकता है।
केजी बालकृष्णन सुप्रीम कोर्ट ने पहले दलित चीफ जस्टिस थे। वह मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि यह मुद्दा मौलिक और ऐतिहासिक रूप से जटिल सामाजिक और संवैधानिक है। निश्चित रूप से यह सार्वजनिक महत्व का एक मामला है। इसकी संवेदनशीलता और प्रभाव को देखते हुए विस्तृत अध्ययन जरूरी है।
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